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चिड़िया का निवाला खाकर और भालू से डरकर बालक सो गया था। वह जूठे बरतनों से को ऐसे रगड़ रही थी जैसे कोई अपराधी सबूत मिटा रहा हो।

वह बिस्तर पर लेटा उस पंखे को घूर रहा था जिसके डैने बिजली बिल न देने के कारण थम गये थे । आँचल में हाथ पोंछते हुए वह आई और बिना कोई शोर किए बगल में लेट गई ।
उसने करवट लेते हुए उसके बदन पर हाथ रखा तब उसने धीरे से हाथ हटा दिया " सो जाओ कल से मुन्ने का स्कूल सुबह की पाली में है सबेरे उठना होगा।"
हाथ खींचकर उसने तकिया बना लिया " सो गया अपना शेर ।"
वो धीरे से हँसी " शेर .. भालू आ जाएगा कहकर डराया तब तुरंत सो गया । "
थोड़ी देर की खामोशी के पश्चात वह फुसफुसाई " सुनो कल से तुम आधे धंटे पहले निकलना और मुन्ना को स्कूल छोड़ते हुए जाना।"
वह झुंझलाया "अरे ये काम तुम्हीं करो।"
वह उठकर बैठ गई "क्यों !उधर से ही तो जाते हो ।फिर में पहुंचाने गई तो खाने में देरी होगी और तुम बिना डिब्बा लिए ही जाओगे ।"
उसने नजरों से याचना की " नहीं होगी देरी। मैं सब्जी भाजी करके रखूंगा। तू आकर फुलके सेंक देना।"

"हाँ ! कोई देखेगा तो क्या कहेगा। औरत बाजार घूमती है और मरद चूल्हा चौका कर रहा है ।"
"कहता है तो कहने दो , कोई पीठ पीछे ही कहेगा । मुँह पर बोलेगा तो तोड़ न दें। "
" तुम जाना क्यों नहीं चाहते आखिर तुम पहुंचा दोगे तो घिस जाओगे क्या ?"
उसने साँस छोड़ी "अरे रस्ते में दुकान देखकर अटक जाता है। मैं मना नहीं कर पाता इस चक्कर में फीस से ज्यादा तो ऐसे ही खर्च हो जाता है। मना करो तो लोटने लगता है।"
वह मुसकुराई "हाँ बच्चे का गू मूत तो करती ही थी अब ये पाप भी हमीं से करवाओ। "
उसकी नजरें याचक की भांति उसके चेहरे पर टिकी रही। वह झुंझलाई "सो जाओ सवेरे उठना भी है।" उसकी ये झुंझलाहट उसे अभय दे देती थी।
(मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment by vijay nikore on May 15, 2018 at 12:29pm

लघु कथा अच्छी लगी, बधाई।

Comment by Samar kabeer on May 13, 2018 at 9:22pm

जनाब कुमार गौरव साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 11, 2018 at 12:55pm

हार्दिक बधाई आदरणीय कुमार गौरव जी। मातृदिवस पर माँ की महिमा और मजबूरी दोनों को दर्शाती लघुकथा।

Comment by Neelam Upadhyaya on May 11, 2018 at 12:30pm

आदरणीय कुमार गौरव जी, नमस्कार।  निम्न माध्यम वर्ग की दैनिन्दिनी के यथार्थ को दर्शाती बहुत ही बढ़िया लघुकथा हुई  है। बधाई  स्वीकार करें।   

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