मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
ख़ुशियों का इस जहाँ में फ़ुक़दान हो न जाये
ग़म अपनी ज़िन्दगी का उन्वान हो न जाये
नफ़रत का आज कंकर जो तेरी आँख में है
इक रोज़ बढ़ते बढ़ते चट्टान हो न जाये
मज़लूम की कहानी सुनकर तू हँस रहा है
तेरा भी हाल ऐसा नादान हो न जाये
सारे अदू लगे हैं,यारो इसी जतन में
पूरा हमारे दिल का अरमान हो न जाये
दोनों तरफ़ की फ़ौजें होने लगीं इकट्ठा
सरहद पे आज फिर से घमसान हो न जाये
आये न मौत मुझको,यारब यही दुआ है
जब तक कि आख़िरत का सामान हो न जाये
पढ़ते हैं छन्द मेरे,कहते हैं भाई 'सौरभ'
इस दौर का "समर"भी रस खान हो न जाये
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फ़ुक़दान-- कमी
उन्वान--शीर्षक
अदू--दुश्मन
घमसान--लड़ाई,जंग
आख़िरत--ज़िन्दगी में नेक काम करना
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समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,आप सबकी दुआओं से तबीअत अब कुछ बहतर है ।
सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
लुग़ात की रु से सही शब्द 'घमसान' ही है ।
जनाब निलेश 'नूर' साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब पीयूष जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,आपकी दुआओं से तबीअत अब कुछ बहतर है ।
सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब, आमीन !
सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
आली जनाब आद0 समर साहब सादर प्रणाम। आपको मंच पर देख कर अतिशय प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। हम सबकी दुवाएँ हैं कि आप सदा स्वस्थ रहें। आपकी ग़ज़लों से हम सीखते हैं।
एक एक शैर दमदार और उम्दा। कहन और खयाल बेहतरीन। हरेक शैर कुछ कहता है। इस बेहतरीन ग़ज़ल पर दिली मुबारकवाद कुबूल फरमाएं। सादर
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है , मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। टाइप में घुमसान की जगह घमसान हो गया है ।
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