बह्र:-2122-1221-22
वक्त बे वक्त का आसरा है।।
घर का टुटा हुआ जो घड़ा है ।।1
जो मुहब्बत में अपनी बिका है।
उसको दौलत ओ शुहरत से क्या है ।।2
जब समझलो की क्या माजरा है।
बोल बोलो नही कुछ बुरा है।।3
प्यास बुझ जाए हर सोच कर ये।
जंग प्रतिदिन तपन की लड़ा है।।4
बोल बोलो नहीं कुछ बुरा है ।।
माजरा पर समझ लो की क्या है ।।5
किसकी किस्मत में क्या क्या लिखा है ।।
जान पाना ये मुश्किल बड़ा हैं।।6
कामयाबी में तेरी हूँ हैरां।
इतनी सिद्दत से रुख को पढ़ा है ।।7
जिस में है हौसला जूझने का ।
दौरे हाजिर में अब भी खड़ा है ।।8
इस समर्पण नियम को समझ लो ।
जो मृदा से मिला वो उगा है।।9
मंजिले भी कदम चूमती हैं।
कर गुजरने का गर हौसला है।।10
लत नशे की न लग पाए बच्चों।
दूर रहना मेरा मश्विरा है।।11
जिन्दगी भर कमाया बहुत पर ।
साथ में आखरी बस दुआ है।।12
एक दिन मौत आनी है सबको।
डर जेहन पाल रखना बुरा है।।13
लाख तरहा उन्हें है बताया।
मुझको उनका ही इक आसरा है।।।14
मौत का खेल खेले जो कोई ।
लोग कहते उसे सर फिरा है ।।15
क्या शिकायत करू हम सफ़र मै।
तू चिरागों की तरहा जला है।।16
पी के मदिरा जो न लडखडाये।
यार आशिक वो मय का बड़ा है।।17
पूछ ले कश्तियों से समन्दर ।
हर सफ़र का तज्रिबा भरा है ।।18
शब्द लेती है इक दायरे में।
ये गजल भी गजब की बिधा है।।19
साथ अहसास ले कर फलक तक ।
जो उड़े वो गजल की बिधा है ।।20
हाले दिल है ,बयां कर गया है ।
ख़त जो सूखे सजर सा पड़ा है।।21
हो सुनहली प्रभा की यूँ आमद।
जैसे गुल में, ये अदबी हया है।।22
ख्वाहिशे गर मिटा दी तो हमदम।
जिंदगी जीना मुश्किल बड़ा है।।23
जिंदगी उससे इकदम अलग है ।
जो किताबों में मैंने पढ़ा है।।24
प्यास अब तक जो उलफत की जिन्दा।
तिश्नगी का भी अपना मजा है।।25
इतने अहसास दिल में दफन हो।
ज्यो फलक चाँद तारों सजा है।।26
हो कभी न कोई भी यूँ रुसवा।
ज्यों जमी आसमां से जुदा है।।27
उनका नजरें मिलाकर झुकाना
है लियाकत की या फिर हया है।।28
बुझ न पायी वो लौ अब भी रोशन ।
जिसमें सच का उजाला भरा है ।।29
याद तेरी सताएगी मुझको।
याद ही पर मेरा आसरा है।।30
जिंदगी ये सबब तीरगी का।
देख दीपक तले ही दबा है।।31
जब भी कोशिश किया हम भी हँस ले।
जाम दरदां मयस्कर हुआ है।।32
इश्क की चोट खाई जिगर में।
तब लगा के मुहब्बत दगा है।।33
बदजुबानी करो कर सको यदि।
प्यार में बस यही अब बचा है।।34
शौख मेरा नही है मुहब्बत ।
ये मौहब्बत मेरा हौसला है।।35
हर कदम पर यूं न मुस्कुराओ ।
मुस्कुराहट भी देती सजा है।।36
अब अदा से हया से वफ़ा से।
कोई रिश्ता न मेरा रहा है।।37
फूल कलियां जरा मुस्कुरा दी।
कोई ऐसी कहानी कहा है।।38
आग पानी हुए साथ हैं कब ।
गर हुए तो हुआ जलजला है।।39
दौड़ में जिंदगी की भी देखो।
जो गिरा वो गिरा रह गया है ।।40
किसको किसने उठाया है अब तक ।
जो उठेगा वो खुद हौसला है।।41
रौशनी की जरुरत अंधेरा।
आँधियों का मजा गर दिया है।।42
इस नशेमन कि मोहलत है तब तक।
अपने पैरों में जब-तक खड़ा है।।43
मौलिक/ अप्रकाशित
आमोद बिन्दौरी
Comment
आ शोमेस जी आप का बहुत आभार की रचना आप को पसंद आयी ....आप से बिनती है कि आप अपनी लव स्टोरी में अपनी रचनाये ही डाले , ये वेब या कोई जगह से किसी का कॉपी पेस्ट न करें । ये सिर्फ मेरी भावनाये है गलत भी हो सकती हैं । समाज को एक नए सृजन की अवस्यकता है न की ...जो नए विचार से भरें हो ।मैं अपनी रचनाओं में वो सब नहीं पाता । तो इस लिए मैं आप को ये अनुमति नहीं दे रहा ...की मेरे शब्दों को अपनी रचना ,ख्याल, सृजन, में सामिल करे...क्षमा चाहेंगे
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