For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

असली मुजरिम (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"ख़ुदा भी आसमां से जब जमीं पर देखता होगा....!" राजेन्द्र कृष्ण जी का लिखा फ़िल्म 'धरती' का यह गीत और मजरूह सुल्तानपुरी साहब का लिखा फ़िल्म 'लाल दुपट्टा मलमल का' का गीत -"तुमने रख तो ली तस्वीर हमारी" सुनने के साथ ही देशवासी अपनी धरती पर लोकतंत्र के लिए ख़तरे बन रहे कुछ बाबाओं, मुल्ला-मौलवियों और नेताओं की कारगुजारियों पर आंसू बहाने लगा। वह असहाय था। उसका गीतकार सा अन्तर्मन इन फ़िल्मी गीतों पर लिखी पैरौडी पढ़ कर सुनाते हुए उसे चिढ़ा रहा था, रुला रहा था। कह रहा था :

" तुम ने देख तो ली तस्वीर हमारी.... पर देख लो कि किस तरह इंसान बहकता है... रंग बदलते हुए.....!"

अपने देश के ताज़े हालात और बदलती तस्वीर देख देशवासी का अंतर्मन उसे झकझोरते हुए दूसरे फ़िल्मी गीत की पैरोडी सुनाने लगा :

"ख़ुदा भी आसमां से जब इस ज़मीं पर देखता होगा...
मेरी महबूब को किसने, क्यूं बिगाड़ा, सोचता होगा ......!"



"मुसव्विर ख़ुद परेशां है के ये तस्वीर किसकी है......
बनोगी इस सदी में तुम ऐसी, ऐसी बुरी तक़दीर किसकी है......
कभी वो रो रहा होगा, कभी पछता रहा होगा......
ख़ुदा भी आसमां से जब भारत को देखता होगा.....!"


देशवासी के पास आत्मावलोकन के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था, सो चुपचाप आंसू आंखों से लुड़काता हुआ आगे की अंतरों की पैरोडी सुनता रहा :


"ज़माने भर की कुसंस्कृतियों को अपनों में समेटा है.....
कली सी धरती को कितने इंसानों ने लूटा है.....
नहीं तुम सा द्रोही कोई पहले न कोई दूसरा होगा....
ख़ुदा भी आसमां से जब भारत को देखता होगा......!"

फ़रिश्ते अब कहां राहों में आकर देखते होंगे.....
जहाँ बहकाये तुम ने पाँव, जगह वो शैतान चूमते होंगे....
किसी के दिल पे क्या गुज़री, ये वो ही जानता होगा...!
खुदा भी आसमां से जब भारत को देखता होगा.....
मेरे मेहबूब को किसने बिगाड़ा सोचता होगा..........!"

देशवासी अब स्वयं को दोषी समझ रहा था और आंसुओ को पोंछता हुआ मन ही मन कुछ दृढ़-संकल्प ले रहा था।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 31, 2017 at 4:37pm
जी, बहुत-बहुत शुक्रिया जानकारी के लिए जनाब समर कबीर साहब।
Comment by Samar kabeer on August 29, 2017 at 10:37am
पात्र चूँकि आम देश वासी है, इसलिये इसे पैरोडी न कहते हुए 'तुकबंदी' कह सकते हैं,देखियेगा ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 29, 2017 at 12:31am
रचना का अवलोकन करने व मशविरे के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहब और आदरणीय कल्पना भट्ट जी। दरअसल पात्र आम देशवासी ही है, कोई पैरोडी रचने वाला नहीं है। इस तरह की पंक्तियों के लिए यदि पैरोडी के बजाय कोई उचित दूसरा प्रचलित शब्द हो, तो अवश्य बताइयेगा। पहले वाले गाने को टीवी पर देखते समय ऐसी रचना लिखने का विचार अचानक ही सूझा था। सादर।
Comment by Samar kabeer on August 28, 2017 at 10:23pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,गीतों की पैरोडी लिखना भी एक फ़न है, इस दृष्टि से जो पैरोडी की गई है,वो बहुत कमज़ोर है, ये नये अंदाज़ की लघुकथा का प्रयास देखें क्या रंग लाता है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 28, 2017 at 6:29pm

गीतों के साथ कथा !! प्रयोग किया है आपने आगे गुरु जन बताएँगे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
35 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
43 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service