For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(गदहा बोला......)

22 22 22 22
*---------------*
गदहा बोला--- हाँक लगायें,
आओ लोगों को भड़कायें।1

मोर बना बैठा है राजा
उसकी कुर्सी को खिसकायें।2

हम भी हो सकते हैं मंत्री
आगे बढ़कर हाथ मिलायें।3

भैंस भली,जब अक्ल मरी हो
कुत्तों को माला पहनायें।4

'चीं चीं' कर दे सकती, चलकर,
'सोन चिरैया' को सहलायें।5

'नीति' नहीं अब प्रीत समझती
कितनी बार गले लग जायें?6

'भालू-कालू' !भेद भुलाकर
आओ एक जमात बनायें।7

जिससे लड़कर मीर बने हैं
उसकी झोली में गिर जायें।8

कुर्सी किस्मत से मिलती है
आओ फिर से पाँव बढ़ायें।9
@'मौलिक व अप्रकाशित'

Views: 872

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on July 10, 2017 at 8:22am
जिससे लड़कर....
Comment by Manan Kumar singh on July 10, 2017 at 8:18am
आदरणीय रवि शुक्ला जी,नमन व आभार आपका।सोन चिरैया एक विशेष काल में दूर देश से आ जाती है और लोग-बाग़ दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं,अपनी इच्छा पूर्त्ति का साधन मानते हैं।और "जिसके लड़कर 'मीर'बने हैं,उसकी झोली में गिर जायें", से भी स्पष्ट है,सादर।
Comment by Manan Kumar singh on July 10, 2017 at 8:08am
आदरणीय गिरिराज भाई, हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 10, 2017 at 7:34am

आदरनीय मन भाई , जानवरों को बिम्ब बना कर खूब ग़ज़ल कही है ,,, हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें

Comment by Ravi Shukla on July 9, 2017 at 2:29pm
आदरणीय मदन कुमार सिंह जी बहुत अच्छी व्यंगात्मक लहजे में आपने गजल कही ,उसके लिए बहुत-बहुत मुबारकबाद, हां सोनचिरैया वाले शेर के अर्थ तक हम नहीं पहुंच सके। सादर
Comment by Manan Kumar singh on July 8, 2017 at 4:18pm
आदरणीय लक्ष्मण जी,आपका आभार।
Comment by Manan Kumar singh on July 8, 2017 at 4:17pm
आदरणीय वाचस्पति जी,आपका आभार।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 8, 2017 at 2:05pm
आ. भाई मनन जी ईस बेहतरीन गजल के लिज हार्दिक बधाई।
Comment by indravidyavachaspatitiwari on July 8, 2017 at 8:34am

गदहा बोला मंत्री बनना है तो प्रोपगंडा करो सामयिक रचना है जो व्यग्य से भरी और व्यवस्था पर चोट करती है। समझने वाले के लिए मनन का रास्ता खोलती रचना के लिए बधाई स्वीकारे माननीय मनन कुमार सिंह जी।

Comment by Manan Kumar singh on July 8, 2017 at 6:49am
बहुत बहुत आभार आपका,आदरणीय सुरेन्द्र जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service