For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिजीविषा (लघुकथा)

“छह महीने होने आए, डॉक्टर साहब माई की सेहत में कोई खास अंतर तो दिख नही रहा!”
आश्रम के संचालक ने अपने आश्रम के नियमित डॉक्टर से चिंता बांटी, जो अभी अभी सब मरीज़ों का रुटीन चेकअप करके आश्रम स्थित छोटे से कमरे में आकर बैठें थे जो कि उनका आश्रम में क्लिनिक था।
“हाँ, विलास बाबू! है तो चिंता की बात, इतनी ऊँचाई से गिरी थी और उम्र भी है,आप खुद ही सोचिए।” डॉक्टर साहब में गोल-गोल शब्दों में स्पष्ट किया।
“हाँ आपने कहा तो था शहर ले जाने को, पर क्या करें हमारी विवशता है। वो तो आपका सहारा है जो इन दुखियरियों को इलाज नसीब हो रहा है।” विलास बाबू ने कृतज्ञता जताते हुए कहा।
“पर माई मन से मज़बूत हैं ये मानना होगा! आज अपनी गाय का हाल चाल पूछ रही थी। अपने से ज्यादा गाय की चिंता है उनको।” डॉक्टर ने मुस्कुरा कर कहा तो विलास बाबू भी मुस्कुरा उठे।

तभी बाहर से एक कर्मचारी ने सूचना दी। “भैया जी! श्यामा रम्भा रही है। हम पानी गर्म करवाने को कह आए हैं। किसी भी बखत ब्या जाएगी!”
“श्यामा वही गाय है न जिसकी देखभाल माई किया करती थी?” डॉक्टर साहब ने पूछा।
“अरे! भैया जी, देखिए गज्जब!" बाहर से हर्षमिश्रित चिल्लाने का स्वर सुनाई दिया।
दोनो बाहर निकल कर आए तो उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास न हुआ। जिस लकड़ी के वॉकर को छह माह से माई हाथ लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, उस पर पुराने कपड़े टांगकर धीरे-धीरे टिकती हुई पशुशाला की ओर बढ़ी चली जा रही थी।
“सुनो, सुनो! पहली बार ब्याएगी, ज़रा सा गुड़ खिलाना है श्यामा को!” बूढ़े कांपते स्वर में अपार ममता थी।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 25, 2017 at 7:37pm
इस सूंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 23, 2017 at 8:41pm

badhiyaa prastuti . 

Comment by नाथ सोनांचली on May 22, 2017 at 1:42pm
आदरणीया सीमा जी सादर अभिवादन, बेहतरीन और प्रेरणादायक कथानक पर लिखी गई लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sudhir Dwivedi on May 21, 2017 at 9:39pm
बहुत सुंदर कथा। वाकई इनसान की जिजीविषा ही तो है, जो उससे दुरूह काम भी करने का वायस बनती है।
Comment by Seema Singh on May 21, 2017 at 6:09pm
शुक्रिया आ०Mohammed Arif जी।
Comment by Mohammed Arif on May 21, 2017 at 1:26pm
आदरणीया सीमा जी आदाब, बेहतरीन और प्रेरणादायक कथानक पर लिखी गई लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service