For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देर तक .....

देर तक
मैं मयंक को
देखती रही
वो वैसा ही था
जैसा तुम्हारे जाने से
पहले था
बस
झील की लहरों पे
वो उदास अकेला
तैर रहा था

देर तक
मैं उस शिला पर
बैठी रही
जहां हम दोनों के
स्पर्शों ने सांसें ली थीं
शिला अब भी वैसी ही थी
जैसी
तुम्हारे जाने से पहले थी
बस
मैं
और थे मेरी देह में
समाहित
तुम्हारे अबोले स्पर्श

देर तक
मैं अपने अधरों पे
तुम्हारे अधरों की
कंपन जीती रही
अपनी पलकों पे
तुम्हारी साँसों की गर्माहट
महसूस करती रही
सांझ की बेला में
तुम्हारी आहटों को जोहते
मैं
वेणी में गज़रा भी
वैसे ही लगाती रही
जैसा तुम्हारे जाने से पहले
लगाती थी
बस अब
किसी की मुहब्बत
वेणी के गज़रे से खेलकर
उसे बिखेरती नहीं
उसकी सुगंध भी
शायद
किसी की कमी से
महकना भूल गयी

देखो !
देर तक
इस देर को
अब
देर न रहने देना
तुम्हारी कसम
जी न पाऊंगी
मैं
अब
तुम बिन
देर तक

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2017 at 3:15pm

आदरणीय मिथिलेश जी प्रस्तुति को अपना आत्मीय स्नेह देने का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2017 at 3:15pm

आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 25, 2017 at 12:22am

आदरणीय सुशील सरना सर, बढ़िया भावाभिव्यक्ति हुई है. हार्दिक बधाई. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 24, 2017 at 9:22pm

आदरणीय सुशील भाई , विरह का दर्द  और मिलन की खातिर चाटपटाहट दोंनो खूब शब्द पाये हैं । आपको इस कविता के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2017 at 1:13pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को अपनी स्नेह बरखा से पल्लवित करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on January 22, 2017 at 2:04pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service