For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिंदी दिवस की शुभ कामनाओं के साथ  कुछ दोहे -

हमें बढ़ाना मान (दोहे)
=================
हिंदी में साहित्य का, बढ़ा खूब भण्डार 
हम संस्कृति का देखते, शब्दों में श्रृंगार |

कविता दोहा छंद में, सप्त सुरों का राग 
गीत गीतिका छंद में, भरें प्रेम अनुराग |

अपनी भाषा का सदा, उन्नत रखना भाल 
हिंदी भाषा का नहीं, कोई यहाँ अकाल |

जन प्रतिनिधि रहते सदा,क्यों हिंदी से दूर 
घर घर में जब बोलते, हिंदी में भरपूर |

भाषा की सम्पन्नता, है हिन्दी की शान 
हिंदी में ही बोलकर, हमें बढ़ाना मान |

राष्ट्र संघ में बोलकर, दिखा चुके जज्बात ,
हीन भाव लाये बिना, हो हिंदी में बात |

भाषा की सम्पन्नता, इसकी अब पहचान,
जग की भाषा बन सके, इतनी क्षमतावान |

हिंदी का उत्सव मने, काव्य भरे आनंद 
नवरस में पहचानते, हिंदी में ही छंद |

एक अरब समझें यहाँ,हिन्दी में संवाद,
करते साठ करोड़ है, हिंदी में फ़रियाद |

हृदय बसी हिंदी यहाँ,सुनों गान भरपूर,
सरल सहज हिंदी लगे, जनवाणी में नूर |

(अप्रकाशित एवं मौलिक) 

- लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2016 at 1:14pm

हिंदी दिवस पर रचित दोहें सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्री डॉ. सुरेद्न्रा कुमार वर्मा जी  | आपके सुंदर सुझाव - 'जन प्रतिनिधि रखते दा,क्यों हिंदी को दूर' का स्वागत है | 

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on December 3, 2016 at 1:18pm

प्रिय लडीवालाजी, आशाएं बांध रही हैं धीरे धीरे, पर मान बढना बाकी है, अच्छी रचना के लिए बधाई. आपकी इस पंक्ति 'जन प्रतिनिधि रहते सदा,क्यों हिंदी से दूर' को मैं यूँ कहना चाहता हूँ: 'जन प्रतिनिधि रखते दा,क्यों हिंदी को दूर'

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 17, 2016 at 2:55pm

सादर  आभार आपका श्री सुरेश कुमार कल्याण जी  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 17, 2016 at 2:54pm

हार्दिक आभार आपका आदरनीय Alka Changa जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 17, 2016 at 2:38pm

दोहो पर सुंदर बहुत बहुत आभार आपका श्री Sushil Sarna साहब | सादर 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 15, 2016 at 7:21pm
आदरणीय श्री लक्ष्मण जी बहुत बहुत बधाई हिंदी की बिन्दी को चमकाने के लिए । सुन्दर दोहे। सादर ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 15, 2016 at 5:36pm

अति सुन्दर दोहे ..बहुत बहुत बधाई | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 15, 2016 at 4:27pm

दोहो पर सुंदर बहुत बहुत आभार आपका श्री समर कबीर साहब | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 15, 2016 at 4:25pm

हार्दिक  आभार आदरणीया  Meena Pathak जी 

Comment by Sushil Sarna on September 15, 2016 at 4:10pm

भाषा की सम्पन्नता, इसकी अब पहचान,
जग की भाषा बन सके, इतनी क्षमतावान |
हिंदी का उत्सव मने, काव्य भरे आनंद
नवरस में पहचानते, हिंदी में ही छंद |

हिंदी दिवस पर हिंदी के महत्त्व को दर्शाते इन अनुपम दोहों के लिए आदरणीय  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला  जी दिल से बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service