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कुण्डलिया छंद - लक्ष्मण रामानुज

सौतेली माँ हो रही, सभी जगह बदनाम
राज त्याग वन को गये,त्रेता में श्री राम।।
त्रेता में श्री राम, हुए शिकार सब जाने

कोख से रहे लगाव, सुने फिर सबके ताने

कैसे बदले भाव, आज भी बनी पहेली

दशरथ को अघात,आज भी दे सौतेली |

 

माँ की ममता कोख से, जग जाने यह बात, 
सौतेली सहती रहे, पुत्रों  से  आघात ।
पुत्रों से  आघात, बड़ा ही पहने पगडी
ह्रदय झेलता शोक, चोट जो लगती तगड़ी 
प्रभु करें उद्धार, भाव में आये समता
ह्रदय भरे सद्भाव, सभी में माँ की ममता ।

लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2016 at 3:18pm

हार्दिक आभार आपका जनाब समर कबीर साहब | आपको भी दीपवाली की शुभ कामनाएँ 

Comment by Samar kabeer on October 30, 2016 at 9:48pm
जनाब लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी आदाब,सौतेली माँ पर केन्द्रित बहुत बढ़िया कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति संग दीपावली की बधाई और शुभकामनायें स्वीकार कीजिये ।

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