For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नारी मन .....

एक लंबे
अंतराल के पश्चात
तुम्हारा इस घर मेंं
पदार्पण हुअा है
जरा ठहरो !
मुझे नयन भर के तुम्हें
देख लेने दो


देखूं ! क्या अाज भी
तुम्हारे भुजबंध
मेरी कमी महसूस करते हैं ?
क्या अाज भी
तुम्हारी तृषा
मे्रे सानिध्य के लिए
अातुर है ?

जरा रुको
मुझे शयन कक्ष की दीवारों से
उन एकांत पलों के
जाले उतार लेने दो
जहां अपनी नींदों को
दूर सुलाकर
मैनें तिमिर को
सखी बनाया था

रुको तो सही
तुम्हारे स्वागत मेंं मुझे
कक्ष की दीवार पे टंगी
तमाम उलझनों
और तनावों को
हटा लेने दो
ताकि मैं तुम्हें
तुम्हारी तलाश का
वातावरण दे सकूं

बस थोड़ी प्रतीक्षा और
पहले मैं अपने बदन की चद्दर को
मोगरे की महक से महका कर
पलंग पर बिछा दूँ
ताकि तुम्हारे बाहुपाश
मेरे सानिध्य से निराश न होंं
और एकाकार के पश्चात
प्रश्नों की व्याकुलता पर
अंतिम विराम लग जाए

जब तृप्ति अतृप्ति का
खेल समाप्त हो जाए
तब कोहरे में ढकी
अलसाई सी भोर में
बिस्तर की सलवटें में
तुम्हें कुछ सिसकियाँ
सुनाई देंगी
छू के देखना अपने गालों को
मेरे खारे आंसूओं का
गीलापन तुम्हें महसूस होगा
सच मेरे प्रेम के
चरम को तुम समझ न पाओगे
आश्वासनों के चंद शब्दों से
तुम मुझे बहला जाओगे
अपने अधरों से
प्रेम प्रदर्शन कर
फिर लौट जाओगे
पुरुष हो इसलिए तुम शायद
नारी मन की
व्यथा न समझ पाओगे


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 4:38pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहिब प्रस्तुति को मान देने का हार्दिक आभार। आपकी पैनी नज़र की दाद देनी पड़ती है। मैं अभी इंगित टंकण त्रुटि को दुरुस्त किये देता हूँ। आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 4:38pm


आदरणीय समर कबीर जी प्रत्युत्तर के लिए हार्दिक आभार। मैं आपकी बात से इत्तफ़ाक रखता हूँ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 3:30pm

आदरणीय सुशील भाई , प्रेम के संदर्भ मे नारी को समझने समझाने का अच्छा प्रयास हुआ है , कविता के लिये आपको हार्दिक बधाई ।

आश्वानों के चंद शब्दों से   --- शायद  आप  आश्वासनों के चंद शब्द लिखना चाह रहे हैं ।

Comment by Samar kabeer on July 14, 2016 at 2:59pm
अस्ल में ओबीओ के सदस्य ज़्यादातर फेसबुक पर सक्रिय नज़र आते हैं,लेकिन मेरी नज़र में ओबीओ पहले बाक़ी सब बाद में आते हैं ।
Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 2:26pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब  ... प्रस्तुति को अपने शीरीं अल्फ़ाज़ों से इज़्ज़त बख्शने का तहे दिल से शुक्रिया। अगर आपकी ये प्रतिक्रिया न आती तो शायद मैं अपनी ये पोस्ट डिलीट कर देता। बड़े बड़े फनकारों के बीच में इस अदना से सृजनकर्ता की रचना पर कौन गौर करता है ? आपका इस रचना की दहलीज़ तक आना ही मेरे सृजन कर्म को उत्साहित करता है। पुनः आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on July 13, 2016 at 6:21pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,हमेशा की तरह बेहतरीन कविता से नवाज़ा है आपने मंच को,बधाई इस शानदार सृजन के लिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service