फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
जिन्दगी में कुछ लम्हे बेमिसाल तो आये
ख्वाब में खयालों में कुछ सवाल तो आये
बेखुदी में हैं अब भी, काश होश आ जाता
माँ को अपने बच्चे का कुछ खयाल तो आये
रूप में उधर चांदी , इश्क में इधर सोना
रोशनी बहुत होगी कुछ उछाल तो आये
फूल खूबसूरत है, है नहीं मगर खुशबू
हुस्न तो नुमायाँ है बोल-चाल तो आये
यूँ तो खून बहता है आदमी की धमनी में
किन्तु ये भी है लाजिम कुछ उबाल तो आये
मानता हूँ है बाकी देश मे हुनर काफी
किन्तु कोई जादू हो कुछ कमाल तो आये
आज भी भटकती है वन करील में राधा
भूलकर कभी ब्रज में नंदलाल तो आये
(मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
आ० मनन जी , लम्हे ही उचित है .कुछ लम्हा गलत होगा . सादर आभार .
आ० अनुज भंडारी जी , आपके समर्थन से लगता है कुछ सुधार हो रहा है . आपसे हौसला और मार्गदर्शन अपेक्षित है. सादर .
आ० कल्पना भट्ट जी --भारतीय महाकाव्यों की दो दुखियारी महिलाये सीता और राधा सदियों से भारतीय नारियो के विराट व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करती आ रही हैं . मैं कभी कभी उन्हें स्मरण अवश्य करता हूँ . सादर .
आ० सुशील सरना जी , आप जैसे सवेदनशील व्यक्तित्व से समर्थन पाकर संतोष मिलता है . सादर . .
राज बुन्देली जी ---- ओ बी ओ के मंच पर गजल कहना सीखा और कोशिश जारी है . सादर .
आ० नीलेश जी - आपके समर्थन से बड़ी आश्वस्ति मिली . आपके मार्ग दर्शन की सदैव प्रतीक्षा रहती है .
आदरणीय बड़े भाई , बहुत खूब , अच्छी ग़ज़ल कही आपने , दिली मुबारकबाद आपको ।
मतले के -- ख्वाब में खयालों को ख्वाबों में खयालों - किया जा सकता है दोनो बहु वचन सही लगेगा , बों की मात्रा भी गिराई जा सकती है ।
वाह वाह बहुत खूब आदरणीय |
यूँ तो खून बहता है आदमी की धमनी में
किन्तु ये भी है लाजिम कुछ उबाल तो आये
मानता हूँ है बाकी देश मे हुनर काफी
किन्तु कोई जादू हो कुछ कमाल तो आये
आज भी भटकती है वन करील में राधा
भूलकर कभी ब्रज में नंदलाल तो आये बहुत बढ़िया |
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