For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़्म - मेरी परी

हाँ वो ख्वाब हैं 
वो ख्वाब ही हैं जब तुम 
तख़य्युल के परों से उड़ते 
चाँद का नूर चुरा लाती हो 
और तोड़ कर बादलों के रेशमी टुकड़े 
गूंध कर उनको चांदनी में फिर 
किसी अनजान ज़मीं पर उसके 
महल तामीर किये हैं तुमने 
और उन महलों में बसा रखें हैं वो सारे मंज़र 
जो हक़ीक़त में बदल जाएं तो 
दर्द दुनिया से चले जाएं हमेशा के लिए

हाँ वो ख्वाब हैं जब तुम 
चेहरे पे हवाओं की शोखियाँ सहती 
बंद आँखों में समाए हुए दुनिया अपनी 
इन फ़िज़ाओं में कहीं दूर उड़ी जाती हो 
बेपरवाह ,क़ुदरत के सब उसूलों से 
बेनियाज़ , खुदा के भी सहारे से

हाँ वो ख़्वाब हैं
वो ख्वाब हैं , लेकिन 
मेरी जाँ , मुझे भरोसा है 
इन सभी ख्वाबों पर हकीकत की तरह 
बस कुछ है, तो इंतज़ार उस दिन का 
ताबीर इन ख़्वाबों की जब 
दुनिया को नज़र आएगी 
आसमां सर झुका के देखेगा 
ज़ुल्फ़ तुम्हारी जो फ़िज़ाओं में बिखर जाएगी

- सालिम

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by saalim sheikh on June 30, 2016 at 12:25am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया कान्ता रॉय जी और आदरणीया कल्पना भट्ट जी , हौस्ला अफज़ाई के लिए , काफ़ी देर से हाज़िर हो सका इसके लिए माफ़ी चाहूँगा 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 25, 2016 at 9:25pm

चेहरे पे हवाओं की शोखियाँ सहती 
बंद आँखों में समाए हुए दुनिया अपनी 
इन फ़िज़ाओं में कहीं दूर उड़ी जाती हो 
बेपरवाह ,क़ुदरत के सब उसूलों से 
बेनियाज़ , खुदा के भी सहारे से

बहुत खूब आदरणीय सालिम जी | 

Comment by kanta roy on May 25, 2016 at 8:57am

किसी अनजान ज़मीं पर उसके 
महल तामीर किये हैं तुमने 
और उन महलों में बसा रखें हैं वो सारे मंज़र 
जो हक़ीक़त में बदल जाएं तो 
दर्द दुनिया से चले जाएं हमेशा के लिए---- वाह !  बहुत  गहरा  लेखन  हुआ  है  यहाँ  आपका  आदरणीय  सालिम  जी  , बधाई  प्रेषित  है  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service