For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज सबके मन का उल्लास देखते ही बनता था। सभी के हाथ में पिचकारी व रंग की बाल्टी थी जिससे वे सभी राहगीर और परिचितों को सराबोर कर रहे थे। रास्ते से गुजरने वाले उधर जाने से डर रहे थे कि जाने कब बच्चों की पार्टी उन्हें देख ले और उन पर रंगों की बौछार कर दे। सभी प्रसन्न चित हो घूम रहे थे। रामू ने देखा कि एक आदमी तेजी से उस तरफ चला आ रहा है। वह बगैर इधर-उधर देखे चला आ रहा था लगता था कि उसे बड़ी जल्दी थी। वह जब नजदीक आया तो रामू ने अपने हथियार संभाले और प्रहार की तैयारी की निशाना लगा ही रहा था कि तब तक उस आदमी की निगाह उस पर पड़ गई। उसने कहा बच्चे मैं बड़ी जल्दी में हूं और बहुत ही आवश्यक कार्य है इसलिए मेरे उपर रंग न डालना कृ पा करना क्योंकि इससे मेरी बड़ी हानि हो जायेगी। रामू ने इसे नहीं समझ कर उस पर रंग डालने के लिए पिचकारी उठा ली। अब उस आदमी ने उससे हाथ जोड़ा और कहा कि देखो मैं एक आवश्यक कार्य से जा रहा हूं मेरे घर में एक व्यक्ति बहुत बीमार है उसके लिए डाक्टर बुलाने के लिए जा रहा हूं। इसलिए तुम रंग न खेलो। रामू समझदार लड़का था।वह रूक गया। आगे आकर पूछा कि आपके घर कौन बीमार है । उस आदमी ने कहा कि मेरे पिता बीमार हैं और मैं उनके लिए दवा के इंतजाम के लिए जा रहा हूं। रामू ने कहा कि आज तो होली का त्यौहार है ।डिस्पेंशनरी तो बंद है आप को डाक्टर नहीं मिल पायेंगे। मैं भी एक डौक्टर का बेटा हूं। पिताजी तो आज घर पर त्यौहार मना रहे हैं । आप मेरे घर चले और पिताजी से बतायें वे आपके पिता का इलाज कर देंगे। वह आदमी उसके साथ चला गया। घर पहुंचने के बाद देखा कि डौक्टर साहब अपने परिचितों से रंग खेलने में मशगूल हैं। रामू ने जाकर अपने पिता को पूरा वाकया बताया। सूनने के बाद डाक्टर ने तुरंत अपने कपड़े बदले और रामू के साथ आये आदमी के उस उसके घर रवाना हो गये।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on May 16, 2016 at 9:20am
अच्छी रचना आद. !बहुत बधाई ।सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 14, 2016 at 11:50pm
बहुत बढ़िया पेशकश के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आ. Indra vidyavachaspati tiwari जी
Comment by रामबली गुप्ता on May 14, 2016 at 11:31pm
लघुकथा बहुत अच्छी हुई है। बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
18 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
yesterday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service