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मौसम !
आजकल हर किसी चीज का मौसम हो रहा है। ष्षादी का मौसम, खरमास का मौसम मेला का मौसम और उपवास तथा स्नान का मौसम लगता है कि हमें मौसम के अलावा अन्य किसी तरह से रहा ही नहीं जाता। अब चुनाव का भी एक मौसम चल रहा है।
यह तुनक कर संजीव ने कहा और घर के भीतर भाग गया। उसके साथ बातचीत मंे ष्षामिल रहे नन्द गोपाल हक्के -बक्के रह गये और कुछ सोचत हुए सोफे पर पसर गये।
थोड़ी देर बाद पुनः संजीव ने वापस आकर बातचीतषुरू की । कहा कि अब अक्सर चुनाव हो रहे हैं और जनमानस में चुनावी लहर व्याप्त हो रही है। लेकिन नन्दू इससे जो क्षोभ पैदा हो रहा है वह आने वाले दिनों में विस्फोट पैदा करेगा यह तो निष्चित ही है। जैसे अन्य दिनों में सत्ता के गलियारे में नये लोगों ने चहल कदमी की उसी प्रकार आगे भी होगी। नन्दू ने कहा िकइस पर हम आगे बहस करेंगे आज चलो हम वोट मांगने चलें । क्योंकि चुनाव सर पर आ गया है। और संगठन के लोग अन्य इलाकों में दौरा कर रहे हैं।
इसके बाद में मोटर में सवार होकर एक बस्ती में पहुंचे। वहां पर जनता की भीड़ इन्हें देखते ही जुट गयी और इन लोगों ने हाथ जोड़े जिसका प्रत्युतर भी मिला। उस भीड़ में एक वृद्ध ने कहा कि भैया अगली बार जब तु म आये थे तो वादा किया था कि मेरी झोपड़ी को पक्के आवास में बदल दोगे लेकिन आज भी वह जैसी की तैसी ही है । आज तुम फिर आये हो तो अब क्या करोगे हम गरीबों के लिए। नन्दू ने कहा कि चाचा अभी तो हम चुनाव से ही फारिग नहीं हुए हैं एक जाता है तो दूसरा आ रहा है। आषा है अगले साल तक चुनाव से हम निपट जायेगे तो आप की समस्या के तरफ ध्यान दिया जायेगा। तब तक के लिए आपसब्र करे और इस बाद के चुनाव में हमारे प्रत्याषी को अपना मत दें।
इससे मौजूद भीड़ में सहानुभूति की लहर दौड़ गयी। सबने एक स्वर में इनके प्रत्याषी के समर्थन में नारे बाजी की और मोटर अन्य इलाके में वोट मांगने चली गयी।
वह बुढा आदमी ठगा सा खड़ा हुआ धूल देखता रहा।

मौलिक और अप्रकाषित

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Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 10:06am
व्यंग्यात्मक शैली में मौसम का जिक्र बड़ा ही रोचक हुआ है यहाँ आपका ,लेकिन टाईपिंग मिस्टेक्स जम कर है । कृपया एडिट कर लीजियेगा । सादर ।

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