For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जख्म दिल का सदा हरा रखिये (एक फिलबदीह ग़ज़ल 'राज')

२१२२  १२१२  २२

भूख हड़ताल बारहा रखिये

हुक्मरानों पे दबदबा रखिये

 

बह रही है हवा सियासत की

किस तरफ बस यही पता रखिये

 

शह्र में चैन हो न हो ठंडक

गर्म मुद्दा कोई नया रखिये

 

सूखने पर कोई न पूछेगा

जख्म दिल का सदा हरा रखिये

 

लोग मरते रहें भले पीकर

हर गली एक मयकदा रखिये

 

क्या करेगा धुआँ धुआँ ही तो है

आप बेख़ौफ़ सिलसिला रखिये 

 

इश्क के साथ दिल्लगी करना

नाम फिर उसका बेवफ़ा रखिये

 

आज बाजार रिश्वतों का है    

जेब में आप कायदा रखिये 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 2495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2016 at 3:07pm

आ० गिरिराज जी,आपको  ये शेर पसंद आये मेरा लिखना सफल हुआ आपका तहे दिल से आभार | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2016 at 3:06pm

प्रिय प्रतिभा जी, आपका हार्दिक आभार स्नेह  बनाए रखिये  .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2016 at 3:06pm

आ० लक्ष्मण धामी भैया ,आपका दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2016 at 2:38pm

मिथिलेश भैया हमेशा की तरह आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन  हुआ तहे दिल से शुक्रिया लिखना सफल हुआ .आज कल मुंबई में हूँ नेट पर कम आ पा रही हूँ इस लिए मुशायरे में भी नहीं शरीक हुई इस बार .बहुत मिस्स किया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2016 at 2:35pm

आ० समर भाई जी ,आपकी प्रतिक्रिया से होंसला दुगुना हो गया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत- बहुत आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2016 at 2:31pm

आ० नादिर खान जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई सुखन  नवाजी का बहुत- बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2016 at 2:27pm

आ० तेजवीर सिंह जी ,होंसलाफ्जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 21, 2016 at 7:39pm

आदरनीया राजेश जी , बेहतरीन गज़ल कही है , क्या बात है , शे र नम्बर एक  से चार  बहुत पसंद आये । आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by pratibha pande on January 20, 2016 at 12:24pm

 

सूखने पर कोई न पूछेगा

जख्म दिल का सदा हरा रखिये....वाह ,  ... सुन्दर ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें  आदरणीया  राजेश कुमारी  जी 

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 20, 2016 at 6:50am

सूखने पर कोई न पूछेगा

जख्म दिल का सदा हरा रखिये

खूब कहा राजेश दी ...इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाइयां l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
19 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service