For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वसुंधरा का दोहन आखिर कब तक ?

विकास की अंधी दौड़ में हम मंगल और चन्द्रमा पर आशियाना बनाने के सपने देख रहे हैं, लेकिन इस आपाधापी में पृथ्वी को भूल रहे हैं। आज पृथ्वी के बेहतरी लिए गंभीरता से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। एक ओर हम वातावरण में कार्बन बढ़ाने वाले स्त्रोत बढ़ाते जा रहे हैं, वहीं दूस री ओर कार्बन सोखने वाले पेड़ों का धड़ल्ले से सफाया हो रहा हैं। आज दुनिया भर में जंगल बहुत तेजी और बेरहमी से काटे जा रहे हैं। हरे-भरे पेड़ कहीं प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ रहे हैं तो कहीं विकास के नाम पर साफ हो रहे हैं। ऐसे में सवाल लाजमी है कि विकास की जिस राह मानव समाज चल रहा है वह कितना सुरक्षित है।

आज इस विषय पर इसलिए बात की जा रही है, क्योंकि 22 अप्रैल को पृथ्वी को खत्म होने से बचाने और इसे साफ रखने के लिए अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। दरअसल पूरी दुनिया पर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मंडराते देख 22 अप्रैल, 1970 को आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत की गई। पर्यावरण का सवाल जब तक तापमान में बढ़ोतरी से मानवता के भविष्य पर आने वाले खतरों तक सीमित रहा, तब तक विकासशील देशों का इसकी ओर उतना ध्यान नहीं गया, लेकिन अब जलवायु चक्र का खतरा खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ रहा है। नतीजतन किसान यह तय नहीं कर पा रहे कि कब बुआई करें और कब फसल काटें। पृथ्वी से खिलवाड़ का ही परिणाम है कि लेह में आए जलजले और जापान के महाविनाश में हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इन हादसों के बाद से कुछ ही देश इस खतरे की अनदेखी करने का साहस कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में यदि पर्यावरण पर सामूहिक प्रयासों के लिए हम जोर लगाते हैं तो उसका सबसे ज्यादा लाभ भी हमें ही मिलेगा। एक अहम् सवाल यह भी है कि पर्यावरणवादियों को क्लीन एयर एक्ट, क्लीन वॉटर एक्ट, खतरे में पड़ी प्रजातियों के लिए कानून जैसी कई सफलताएं मिली हैं. लेकिन 41 साल बाद भी पर्यावरण के लिए एक नीति बनाने पर अभी तक कोई सफल नहीं हो सका है। पृथ्वी दिवस मनाने के पीछे मूल उद्देश्य यह है कि मानव जीवन को बेहतर बनाया जाएं। सवाल है कि जीवन बेहतर कैसे बने। साफ हवा और पानी बेहतर जीवन की पहली प्राथमिकता है, लेकिन आज हवा और पानी ही सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। प्रकृति से अंधाधुंध छेड़छाड़ के चलते पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है तथा वातावरण में कार्बन की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है। इसके लिए औद्योगिक इकाइयां और डीजल पेट्रोल से चलने वाले असंख्य वाहन सबसे अधिक जिम्मेदार हैं, लेकिन वाहनों की बढ़ती संख्या कम करने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया जाना भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। एक आंकड़े के मुताबिक पृथ्वी इस समय 75 करोड़ वाहनों का भार सह रही है, इसमें हर साल 5 करोड़ नये वाहन जुड़ रहे हैं। मानव अपनी हितपूर्ति के लिए पृथ्वी का बेपनाह दोहन कर रहा है। आज पृथ्वी का कोई क्षेत्र ऐसा बाकी नही बचा है, जो मानव की नाइंसाफी का शिकार न हुआ हो। आखिरकार कब तक हम स्वार्थपूर्ति के लिए धरा का दोहन करते रहेगे?

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on April 23, 2011 at 11:04am
vajib prashn kiye hain aapne .Agar aabhi bhi maanav na sudhraa na badlaa to swayam ke vinaash ka zimmedaar swayam hoga.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service