For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लेह में गुम हुए परिजनों के इंतजार में पथराई आंखें

महंत गांव की वृद्धा धनकुंवर व गंगाबाई की आंखे भले ही कमजोर हो गई है, लेकिन वे दोनों हर रोज घर के बाहर घंटों बैठकर अपने परिजनों का इंतजार करती है। इनके परिजन लेह में आए जलजले के बाद खो गए हैं, जिनका 8 माह बाद भी पता नहीं चल सका है, लेकिन उन्हें गुम हुए परिजनों के आने का पूरा भरोसा है। इसी उम्मीद को लेकर वे दोनों ही नहीं बल्कि, अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर पहुंचे कई लोग गुजारा कर रहे हैं। परिजनों के घर वापसी का इंतजार करते-करते मजदूर परिवारों की आंखें अब सूख गई हैं। हादसे से किसी तरह बचकर घर लौटे ज्यादातर ग्रामीण बिस्तर में दिन गुजार रहे हैं, जिन्हें प्रशासन से मिलने वाली आर्थिक सहायता की भी दरकार है। 

किसी तरह जान बचाकर गांव लौटे छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर जिले के मजदूर आज भी उस भयावह हादसे को नहीं भूल पाए हैं, जिसने किसी का बेटा तो किसी की पत्नी और भाई छीन लिया। लेह हादसे का जिक्र होते ही उनकी आंखों में पानी भर आता है। लेह हादसे में प्रभावित मजदूर जांजगीर जिले के नवागढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम बनारी, महंत, खैरा तथा पामगढ़ विकासखंड के ग्राम सलखन के हैं। गौरतलब है कि जम्मू-काश्मीर के लेह में 5 अगस्त 2010 को बादल फटने से तबाही आ गई थी। इस हादसे में कई मजदूरों की मौत हो गई, वहीं कई घायल हो गए थे। हादसे के बाद जिन मजदूरों के शव मिल गए उनकी शिनाख्त हो चुकी है। मगर 40 से अधिक लोग ऐसे हैं, जिनका आज तक कुछ पता नहीं चल सका है। लापता मजदूरों को ढूंढने प्रशासन द्वारा अब तक कोई खास रूचि नहीं ली गई है। घटना के बाद जम्मू काश्मीर सरकार ने महज 16 मजदूरों की मौत की शिनाख्ती करते हुए उनके परिजनों को 1-1 लाख रूपए मुआवजा दिया है, लेकिन हादसे के बाद से लापता 40 से अधिक मजदूरों को अब तक न तो मृत माना गया है और न ही उनकी खोज की जा रही है। लेह हादसे मेें प्रभावित ग्राम सलखन के संतराम साहू ने बताया कि उनका 3 वर्ष का बेटा राहुल कुमार साहू दुर्घटना के बाद से अब तक नहीं मिला है। मजदूर परमानंद साहू की 1 वर्षीय पुत्री प्रीति हादसे के बाद से गुम हो चुकी है। दोनों मजदूरों ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें अब तक किसी तरह की सहायता नहीं मिली है। घटना के बाद घायल हुए मजदूर अब भी शारीरिक तकलीफें झेल रहे हैं, वहीं प्रशासन की ओर से उनका ठीक ढंग से इलाज भी नहीं कराया गया है। कुछ मजदूर अपनी थोड़ी बहुत संपत्ति बेचकर जख्मों का इलाज करा रहे हैं। कई लोगों को शारीरिक विकलांगता हो गई है, जिसकी वजह से वे मेहनत मजदूरी भी नहीं कर पा रहे हैं। ग्राम मंहत के फेकूराम धीवर, चैतराम धीवर, मकदन केंवट, श्रवण केंवट ने बताया कि वे कमाने खाने के लिए अपने परिवार के साथ लेह गए थे, जहां आए जलजले में उनके आंखों के सामने ही परिजनों समेत कई लोग मौत के मुंह में समा गए, जिन्हें वे चाहकर भी नहीं बचा सके। इस हादसे में उसके गांव के किशोरी लाल पिता दाउराम धीवर, रूप कुंवर पति फेकूराम धीवर, अन्नू पिता ब्रजेश कुमार, बैजमति पति महेशराम, कु. बिरस पिता गुहाराम, कु. अर्चना पिता बनवाली तथा प्रेमकुमार पिता दिलीप कुमार की मौत हो गई। हादसे से प्रभावित बरन कश्यप, महेशराम केंवट, रामप्रकाश कश्यप, सिरधारी केंवट ने बताया कि उन्हे अपनों की मौत का गम जितना है उससे कहीं ज्यादा घर में बिस्तर पर पड़े परिजनों को देखकर होता है। उपर से अधिकारियों की उदासीनता ने उनके जख्मों को कुरेदने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दुर्घटना में पीड़ित मजदूर चंदराम केंवट, ननकीनोनी निर्मला व चमारिन बाई ने बताया कि पिछले 8 माह से वे आर्थिक सहायता के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं। अब तो उन्होंने राहत राशि की उम्मीद ही छोड़ दी है। इसके अलावा मजदूर किशोरी लाल की मौत को लेकर भी दोनों राज्यों की सरकार गंभीर नहीं है। लेह से गंभीर हालत में जांजगीर लाए जाने के बाद जिला अस्पताल में किशोरीलाल की मौत हो गई थी, जिसे जम्मू काश्मीर सरकार नकार रही है वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने भी उसके परिजनों को मुआवजा देने से इंकार कर दिया है।  यहां बताना लाजिमी होगा कि यह पहली घटना नहीं है जब किसी हादसे में प्रभावित मजदूरों को प्रशासन द्वारा आर्थिक सहायता देने में आनाकानी की जा रही है। 8 वर्ष पहले अनंतनाग में हुए आतंकवादी हमले में जांजगीर जिले के दर्जनों मजदूर मारे गए थे, जिनमें से कुछ मजदूरों को ही आर्थिक सहायता दी गई थी, जबकि कई लोगों का अब तक पता नहीं चला और न ही उनके परिजनों को किसी तरह की आर्थिक सहायता मिल पाई है। उस समय भी दोनों राज्यों की सरकार ने मुआवजे को लेकर अपना पल्ला झाड़ लिया था। ठीक उसी तरह लेह हादसे के पीड़ितों के साथ भी जम्मू काश्मीर तथा छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बर्ताव किया जा रहा है। 

Views: 325

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service