Comment
अच्छी ग़ज़ल
तोड़ देता किस तरह से साँस अपनी ही स्वयं।
धड़कनों पर आपका प्रतिबन्ध कब तोडा गया।।
गीत मैं सुर हो तुम्हीं हाँ शब्द मैं सरगम तुम्हीं।।
इस पुरुष का तुझ प्रकृति से बन्ध कब तोड़ा गया।।
आदरणीय पंकज भाई , ग़ज़ल अच्छी कही है आपने आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
मुझे आपकी गज़ल के रदीफ कर शंका हो रही है -- आपने, कब तोड़ा गया रदीफ माना है , और मुझे शंका है -- बन्ध कब तोड़ा गया , पूरी रदीफ मान लिये जाने की , अगर ऐसा हुआ तो आपकी गज़ल बिना काफिया के हो जायेगी , और ख़ारिज हो जायेगी । आप इंतिजार कर सकते हैं गुणिजनों का ।
पकज जीआपकी बेहतरीन कोशिश पर आपको बधाई .
आदरणीय पंकज जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. मैं आदरणीय मनोज भाई जी की बात से सहमत हूँ कि गजल में ना की जगह न का प्रयोग होता है जिसका वज्न 1 होता है. अतः उनकी इस्लाह // 212 की जगह 22 कर ले// या इसी बह्र में कहना हो तो कुछ यूं किया जा सकता है-
प्रीत या अनुराग का अनुबंध कब तोड़ा गया।
इस हृदय का आप से सम्बन्ध कब तोड़ा गया।
तोड़ देता किस तरह से साँस अपनी ही स्वयं,
धड़कनों पर आपका प्रतिबन्ध कब तोड़ा गया।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online