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''हंगाम फितरत पाल बैठा हूँ''

2212  2212   22

क्या ख़ूब आफ़त पाल बैठा हूँ

दिल में शराफ़त पाल बैठा हूँ

.

मुफ़्त इक मुसीबत पाल बैठा हूँ

बुत की मुहब्बत पाल बैठा हूँ

.

क्यूँ ये सितारे हैं ख़फ़ा मुझसे?

जो तेरी चाहत पाल बैठा हूँ

.

वो बेवफा कहने लगा मुझको

जबसे मुरव्वत पाल बैठा हूँ

.

कोई तो तुम अब फ़ैसला दे दो

पत्थर की सूरत पाल बैठा हूँ

.

गर तू तगाफुल पे अड़ा है

सुन मैं भी वहशत पाल बैठा हूँ

.

वारे तमन्ना-ए-वफ़ा-ए-य़ार

ख़ुद से बग़ावत पाल बैठा हूँ

.

दीवानगी है गो ख़ुराके इश्क़

हंगाम फितरत पाल बैठा हूँ

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मौलिक व् अप्रकाशित © ‘जान’ गोरखपुरी

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 18, 2015 at 9:33am

आ० दीदी राजेश कुमारी जी..तहेदिल से शुक्रिया गज़ल पर सकारात्मक प्रतिकिया और मार्गदर्शन के लिए!.....आ० मतला पर शुरुआत में ही मैंने बहुत विचार किया था ...इस सन्दर्भ में आ० गिरिराज सर की गज़ल ''ये मेरा असर है'' और उस पर हुयी चर्चा ने मार्गदर्शन का काम किया! और मेरी ये गजल संभव हो सकी!

शिज्जू सर ने जिहाफ़ पर जो बात ध्यान दिलाई है उस आधार पर निश्चित ही गज़ल में संशोधन करना पड़ेगा ..आगे से बहर की संभावनाओ पर गुनीजनों से मशवरा लेने के बाद ही इस तरह की गजल पर आगे बढूँगा! सादर!


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Comment by rajesh kumari on September 17, 2015 at 9:32pm

कृष्णा भैया मतला बहुत बढ़िया है पर भैया काफिया तो आफत पर टिक गया जरा गौर करें 

बाकी शेर तो सभी शानदार हैं शिज्जू भैया की बात भी सही है बहरहाल बधाई तो बनती है सुन्दर प्रयास हुआ कुछ संशोधन उपरान्त ग़ज़ल निखर उठेगी 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 17, 2015 at 12:47pm
आ० गिरिराज सर गज़ल पर आप से दाद पाकर राहत हुयी,सादर अभिनन्दन!
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 17, 2015 at 12:43pm
आ० श्री सुनील जी हौसलाफजाई के लिए सादर आभार!

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2015 at 7:39am

आदरणीय कृष्णा भाई , बढिया मतला के साथ बहुत अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाई आपको

Comment by shree suneel on September 16, 2015 at 8:18pm
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी. बधाइयाँ आपको.
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:34pm

आ० मुकेश जी सादर आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:33pm

तहेदिल से शुक्रिया आ० मिथिलेश सर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:31pm

आ० गोपाल सर,हार्दिक आभार व् नमन! सादर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 4:29pm

हार्दिक आभार आ० विजय सर!सादर!

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