For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिला आज बेटा वो बलवाइयों में (फिलबदीह ग़ज़ल 'राज')

122   122  122    122

कुहुकती है कोयलिया अमराइयों में

महकते  कई  फूल पुरवाइयों में  

 

दिखाई  न  दी आज दीवार उनकी

अजी, क्या सुलह हो गई भाइयों में ?

 

ग़मों के  भँवर में जो खोया था बचपन

मिला आज यादों की परछाइयों में

 

पिघलते हों पत्थर धुनें जिनकी सुनकर

फुसूँ हमने देखा वो शहनाइयों में

 

उजाले  में दिन के छुपे रहते बुजदिल

उमड़ते वही अब्र तन्हाइयों में

 

न कद से समंदर की औकात परखो

छुपा है खजाना तो गहराइयों में

 

वफ़ा आज जाने कहाँ को गई है

न है बांकपन में न रानाइयों में

 

पिता माँ बहन नाज करते थे जिसपर

मिला आज बेटा वो बलवाइयों में

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 1032

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2015 at 1:57pm

प्रिय तनूजा जी,आपका दिल से आभार |शुभकामनायें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2015 at 1:56pm

आ० गिरिराज जी ,आपकी दाद मेरे लिए अमूल्य है तहे दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2015 at 1:55pm

आ० रवि शुक्ला जी ,आपका तहे दिल से बहुत- बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2015 at 1:54pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी ,इस उत्साह वर्धन के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Tanuja Upreti on September 2, 2015 at 12:19pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल मै'म वाह वाह I बधाई I 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2015 at 10:46am

आदरनीया राजे श जी , अक और अच्छी अज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Ravi Shukla on September 1, 2015 at 10:56pm
आदरणीया राजेश जी सुन्दर ग़ज़ल के लिए शेर दर शेर दाद क़ुबूल करें । बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on September 1, 2015 at 7:09pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2015 at 10:42am

आ० समर कबीर भाई जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी शैर दर शैर दाद पाकर मन उत्साहित है आपकी इस  नवाजिश का  तहे दिल से शुक्रिया  |आपकी इस्स्लाह का स्वागत है मैं लिखते हुए यही सोच रही थी कि जैसे  कोई के  को की मात्रा को गिराकर  लघु कर सकते हैं तो क्या कोयलिया का भी कर सकते हैं  ,पूर्णतः आश्वस्त नहीं थी इस लिए ये लिखा था अब आपकी इस्स्लाह को देखते हुए इसे संशोधित करना ही ठीक होगा क्यूंकि आपका मिसरा ज्यादा प्रभावशाली लग रहा है आपका आभार भाई जी  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2015 at 10:35am

आ० सुशील  सरना जी,आपकी दाद पाकर ग़ज़ल धन्य हो गई अभिभूत हूँ दिल की गहराइयों से आपका आभार | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service