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1212-1122-1212-22
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यकीन कर लो समन्दर में आब-रूद नहीं
जवान दिल में अगर कोई मौज-ए-दूद नहीं
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जुनून-ए-इश्क़ भी ढ़लता है रोज़-ए-वस्ल के बाद
ये कहकशाँ भी हक़ीक़त में बे-हुदूद नहीं
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मैं तेरी गर्मी-ए-हिजरत से भी हूँ वाबस्ता
मेरा वुजूद कोई बर्फ का जुमूद नहीं
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ब-रोज़-ए-हश्र ऐ दिल तेरा वह'म टूटेगा
तू सोचता, तेरे आमाल के शुहूद नहीं
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तवील दौर है गर्दिश का तेरी क़िस्मत में
कि तेरा ताब-ओ-तवाँ खोना फ़ेल-ए-सूद नहीं
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किताब-ए-वक़्त के औराक़ पर लिखा है यही
सिवा ख़ुदा के यहाँ कुछ नुमूद-ओ-बूद नहीं
.
सुकून-ए-दिल भी मिलेगा जहाँ की खुशियाँ भी
ख़ुदा के दर से उठे गर सर-ए-सुजूद नहीं
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दिनेश अपनी ज़िया पर न तुम ग़ुरूर करो
कि बिन अँधेरे तुम्हारा भी कुछ वुजूद नहीं
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मौलिक व अप्रकाशित
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आब-रूद = river water ; मौज-ए-दूद = wave of love ; जुमूद = freeze ; सर-ए-सुजूद = head bowed in prayer ; आमाल = कर्म ; शुहूद = ग़वाह ; तवील = लम्बा ; फ़ेल-ए-सूद = profitable act ; नुमूद-ओ-बूद = that was in present and past

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Comment

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Comment by दिनेश कुमार on August 10, 2015 at 5:59pm
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर।
Comment by दिनेश कुमार on August 10, 2015 at 5:59pm
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहन सेठी साहब
Comment by दिनेश कुमार on August 10, 2015 at 5:58pm
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय हर्ष महाजन साहब
Comment by दिनेश कुमार on August 10, 2015 at 5:57pm
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राम अवध सर।

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Comment by गिरिराज भंडारी on August 4, 2015 at 1:34pm

आदरणीय दिनेश भाई बेहतरीन गज़ल हुई है , हरेक  शेर के लिये दिली बधाइयाँ ।

दिनेश अपनी ज़िया पर न तुम ग़ुरूर करो
कि बिन अँधेरे तुम्हारा भी कुछ वुजूद नहीं  -- लाजवाब !! हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 4, 2015 at 8:28am

आदरणीय दिनेश कुमार जी ये आप की कोशिश अगर ऐसी है तो आगे मन्ज़र क्या होगा ...मैं तो देख हैरान हूँ कि ऐसा आगाज़ है ....आगे आगे देखिये होता है क्या ...वाह ...थोड़ा शब्दावली हमारे लिये कठिन ज़रुर रही मगर आपने उसमें भी मदद कर दी 

Comment by दिनेश कुमार on August 4, 2015 at 5:35am
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश भाई।
हाँ, पहले बार शब्दों के अर्थ और दो-तीन शे'र copy paste करते वक़्त छूट गए थे। इस site में पोस्ट करते समय भी बहुत दिक्कत आ रही है। मेरे ज्यादातर comments पोस्ट नहीं हो रहे। सादर।
Comment by दिनेश कुमार on August 4, 2015 at 5:30am
आदरणीय रवि शुक्ला सर जी, हौसला अफ़्जाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया। आभार।
क्योंकि हिन्दी मेरी मातृभाषा है, इसलिए ग़ज़ल में प्रयुक्त मुश्किल शब्दों के अर्थ मैंने online dictionary से लिए है। website आप सब जानते ही हैं -- rekhta.org
मौज-ए-दूद का अर्थ वहाँ wave of love ही दिया हुआ है। हाँ दूद का अर्थ शायद smoke ही दिया गया है। बस मैं इतना ही कह सकता हूँ आदरणीय। बाकी उर्दू के जानकार बतायें। सादर।
मेरे mobile का volume up down button खराब है सर, screenshot एक महीने से नहीं ले पा रहा। Laptop / pc मेरे पास नहीं है। सादर
Comment by Harash Mahajan on August 3, 2015 at 6:07pm

आदरणीय दिनेश कुमार  जी बहुत ही आला ग़ज़ल पेश की है आपने ....हर अहसास उम्दा !! दाद कबूल कीजियेगा !! साभार !!

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on August 3, 2015 at 5:19pm
बधाई कठिन काफिये का सरलता एव सलीके से निर्वाह के लिए

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