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तराजू (गीत)


चल तौल तराजू रिश्तों को
कुछ अपने पराये नातो को ...

एक तरफ चढा ले माँ को ही
सबसे प्यारा ये रिश्ता है
कचरों के डिब्बों में फिर क्यों
शिशुओं को फेंका जाता है

चल ...........

एक तरफ भाई और बंधू ले
फिर जर जमीन पर क्यों झगड़े है
पैसा धन दौलत पर से क्यों
सर अपनों के काटे जाते है

चल .........

एक तरफ जीवन साथी ले
ये जनम जनम का नाता है
तो तलाक फिर क्यों होते है
संग रहकर भी दुश्मन बनते है

चल ............

जब शक का खतरा पडता है
क्यों डोला पलड़ा तराजू का
घर द्वार टुटते देखे है
क्या नाता रिश्ता खून का

चल .................

सब रिश्ते ही बेगाने है
कहने के ताने बाने है
" शक्ति " सुख के संगी साथी
दुख में नहीं ठिकाने है

चल ....................


मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by babita choubey shakti on July 27, 2015 at 10:06pm
आ मिथलेश जी आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 10:35pm

आदरणीया बबीता जी, रिश्तों को तराजू पर तौलते हुए अच्छी भावाभिव्यक्ति हुई है. इस प्रस्तुति हेतु बधाई. यह भी अवश्य है कि काव्य के शिल्प निखारने के लिए मंच पर प्रस्तुत हुई रचनाओं को पढ़ जाइए. हार्दिक शुभकामनायें 

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