अतीत
अस्पताल से खबर आई और वह बदहवास सा भागा I
" पापा ..." इसके आगे बेटी कुछ न बोल पायी थी I वह जीवन -मृत्यु के बीच झूल रही थी ! किसी दरिंदे ने उसके ऊपर तेज़ाब ......I
" ओह !" उसका हृदय चीत्कार कर उठा , साथ ही उसे याद आया अपना अतीत i आज से तीस वर्ष पहले उसने भी तो यही किया था i
मीना पाण्डेय
बिहार
मौलिक व् अप्रकाशित
Comment
आभार आदरणीय kewal prasad जी
आ0 मीना जी, //आज से तीस वर्ष पहले उसने भी तो यही किया था i // सुंदर लघु कथा के लिये बधाई स्वीकारें. सादर
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आभार आपने मेरी कथा को सम्पादित कर और बेहतर बना दिया है बहुत बहुत धन्यवाद आपके स्नेहिल मार्गदर्शन के लिए
मीना जी
कथा अच्छी है पर प्रस्तुति और अच्छी हो सकती थी i आपकी कथा मेरे सम्पादन में कुछ ऐसी होती -
अस्पताल से खबर आई और वह बदहवास सा भागा I
" पापा ..." इसके आगे बेटी कुछ न बोल पायी थी I वह जीवन -मृत्यु के बीच झूल रही थी ! किसी दरिंदे ने उसके ऊपर तेज़ाब ......I
" ओह !" उसका हृदय चीत्कार कर उठा , साथ ही उसे याद आया अपना अतीत i आज से तीस वर्ष पहले उसने भी तो यही किया था i
आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी
बढ़िया लघुकथा
पश्चाताप की अग्नि जीवन भर साथ रहती है और जलाती भी है गहरे तक
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