खुशी जो हमने बांटी गम कम तो हुआ
हुए बीमार भार तन का कम तो हुआ
माँगी जो हमने कीमत मिली हमें दुआ
उनके बजट का भार कुछ कम तो हुआ
मरहूम हो गए दुःख सहे नही गए
उनके सितम का भार कुछ कम तो हुआ
माना कि मेरे मौला है नाराज इस वकत
फक्र जिनपे था भरोसा कम तो हुआ
मालूम था उन्हें हमसे हैं वो मगर
उनकी नजर में एक ‘मत’ कम तो हुआ
अन्नदाता बार बार कहते है जनाब
भूमि का भागीदार एक कम तो हुआ
(मौलिक व अप्रकाशित)
मैंने गजल लिखने का प्रयास किया है, क्या है? और कहाँ सुधार की गुंजाईश है, अवश्य चिह्नित करें
- जवाहर
Comment
आदरणीय सूबे सिंह सुजन जी आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए हार्दिक आभार!
जवाहर जी, गजल की बहर तो सही नही है। गिरिराज जी बेहतर कह चुके हैं। लेकिन किसान के हालात पर आपके कहने की कोशिश की है यह बहुत अच्छा है।
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी और डॉ. गोपाल नारायण साहब ... मेरी कोशिश जारी रहेगी आप मार्ग दर्शन करते रहें सादर!
आदरणीय जवाहर भाई , बह्र की बात आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी कह ही चुके हैं , सभी मिसरों का किसी के मान्य महर में होना ज़रूरी है गज़ल के लिये ।
दूसरी बात ज़रूरी - रदीफ और काफिया निभाना है
खुशी जो हमने बांटी गम कम तो हुआ
हुए बीमार भार तन का कम तो हुआ --- आपके मतले मे -- कम तो हुआ रदीफ है जो पूरा का पूरा दोहराया जा रहा हिस्सा है ,
लेकिन काफिया कोई नहीं है , बिना काफिया के गज़ल नहीं होती है , जबकि बिना रदीफ के गजल हो सकती है , रदीफ के पहले का कोई स्वर या व्यंजन के सहित स्वर का मिलना भी ज़रूरी है , जिसे काफिया कहेंगे -- जैसे - अभी प्रकाशित मेरी ही ग़ज़ल मे मतला है --
शहर ज़रा सा मुझमें भी तो आया है
यही सोच के गाँव गाँव शर्माया है --- इसमे है रदीफ है , इससे पहले , आया , शर्माया लिया गया है जिसमें आया काफिया को निभाया गया है ।
आदरनीय , प्रयास के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥ आपको '' गज़ल की बातें '' , का अध्ययन ज़रूर करना चाहिये , अगर गज़ल कहने की तरफ क़दम बढ़ाना चाहते हों तो ॥
आ० जवाहर लाल जी
आपकी गजल बह्र मनाही है . गजलका बह्र में होना अनिवार्य है आप पहले कुछ आसान बहरों पर लिखें. जैसे-
बहर का नाम -मुतदारिक मुसद्दस सालिम
२१२ २१२ २१२
बह्र कानाम - मुतकारिब मुसद्दस सालिम
१२२ १२२ १२२
ध्यान रहे गजल में मात्रा गिनने का नियम हिन्दी छंदों से थोडा भिन्न हैं . सादर .
आदरणीय राजू उर्फ़ राजकुमार आहूजा जी आपका वरदहस्त शुरू से मिलता रहा है आगे भी रहेगा यही अपेक्षा करता हूँ ...आपका बहुत बहुत बहुत आभार!
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी
देर आमद - दुरुस्त आमद ! अच्छा प्रयास माननीय,जवाहर लाल सिंह जी , लगे रहिये परिणाम आयेंगें ! शुभकामनाएं .....
बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीय |
प्रिय अमन कुमार जी, प्रोत्साहन हेतु आपका आभार!
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