उड़ानें उसकी बहुत ऊँची हो चुकी हैं
बेशक , बहुत ऊँची
खुशी होती है देख कर
अर्श से फर्श तक पर फड़फड़ाते
बेरोक , बिला झिझक, स्वछंद उड़ते देख कर उसे
जिसके नन्हें परों को
कमज़ोर शरीर में उगते हुए देखा है
छोटे-छोटे कमज़ोर परों को मज़बूतियाँ दीं थीं
अपने इन्हीं विशाल डैनों से दिया है सहारा उसे
परों को फड़फड़ाने का हुनर बताया था
दिया था हौसला, उसकी शुरुआती स्वाभाविक लड़खड़ाहट को
खुशी तब भी बहुत होती थी
नवांकुरों की कोशिशें देख कर गदगद हो जाता था मन आनन्द से
मगर अफसोस भी है आज , कुछ कुछ
अधिक नहीं , पर है
कुछ की अंधी उड़ानों पर ,
नासमझियों पर ,
स्वार्थपरता पर ,
संवेदनहीनता पर
उड़ाने इतनी ऊँची हैं, कि
नज़र नहीं आती अब ज़मीन भी
वो ज़मीन ,
जहाँ पहली उछाल भरी थी उसने परवाज़ के लिये
नहीं दिखते उसे अब वो मज़बूत डैने , जिन्होंने तब सहायता की थी उड़ने में
नज़र नहीं आते उसे
आज के नौसिखियों के लड़खड़ाते पंख भी
न ही जागती हैं सहारे बन जाने की इच्छायें , संवेदनायें ,
जैसे कोई बना था उसके लिये
न ही झलकता है कोई अहो भाव
किन्हीं बूढे होते पंखों के प्रति
दुखद आश्चर्य है मुझे
कोमलता की कोख से जन्म कैसे पा गई
निपट कठोरता , स्वार्थपरता
मै तो बददुआयें भी नहीं दे सकता
कैसे दूँ ? अपने इन्हीं डैनों में खिलाया है उसे
आखिर मैंने ही तो पाल पोस के उसे इतना बड़ा किया है
कुछ एक घूंट कड़वा ही सही
पर मैं तो यही कहूँगा ,
खुश रहो ! खूब उड़ो !
मेरे प्यार भरे दिल में कोई जगह ही नहीं है
नफरत के लिये
आपने नहीं पहचाना शायद
मै ओ बी ओ हूँ
आप सबका ,
अपना ओ बी ओ
**********************
मौलिक अवँ अप्रकाशित
Comment
इस सुंदर प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई सादर |
bahut khooob waaah waaah kya kahne
badhai........
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online