For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" हम " का बार बार बिखरना

चैन से रहते थे कभी
तीन कमरों की छत के साये में 
मैं ,मेरे माँ-बाबूजी
मेरी पत्नि 
मेरे बच्चे शामिल थे
एक 'हम ' शब्द में ।


धीरे धीँरे 
'हम ' शब्द बिखर गया
मा-बाबूजी बाहर वाले 
कमरे में भेज दिये गयेे
अब वो दोनों हो गये थे
' हम ' और माँ-बाबूजी 
अब हम ' का विस्तार 
मैं,मेरी पत्नि,मेरे बच्चों
तक सिमट गया था
माँ -बाबूजी 'और' हो चुके थे ।।


मेरा बेटा भी अब
बाल बच्चेदार हो गया हैे
'हम ' शब्द  आतुर है
एक बार फिरसे टूटने बिखरने 
मैं -मेरी पत्नि
' और '  होने वाले हैं 
मेरे बेटे के परिवार के लिये
मुझे अफसोस नहीं मेरे 
और हो जाने का 
अफसोस है
बाहर वाले कमरे को
कैसे खाली कराऊँ 
माँ-बाबूजी से ।।।

मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा





Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on April 4, 2015 at 2:09pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी आभार

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 4, 2015 at 1:48pm

आदरणीय मन को झकझोर देने वाली शानदार रचना ..मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by umesh katara on April 3, 2015 at 7:43pm

आदरणीय Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी सादर आभार

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 3, 2015 at 4:08pm

आदरणीय क्या ख़ूब लिखा है ..सच में दिल तक लगती है ....प्रस्तुति के लिये बधाई ...सादर 

Comment by umesh katara on April 3, 2015 at 8:56am

आदरणीय ajay sharma जी सादर आभार

Comment by ajay sharma on April 2, 2015 at 10:55pm

wah wah kya baat hai .....bahut ki umda 

Comment by umesh katara on April 2, 2015 at 10:03pm

आदरणीय Shyam Mathpal जी सादर आभार

Comment by Shyam Mathpal on April 2, 2015 at 8:02pm

आदरणीय उमेश कटारा जी ,

कई घरों व दिलों की कहानी. 

हार्दिक बधाई.

Comment by umesh katara on April 2, 2015 at 7:21pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकरजी सादर आभार

Comment by umesh katara on April 2, 2015 at 7:21pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सादर आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service