For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीन लोगों के बीच (कविता )

पूर्ण नहीं हूँ मैं

मुझे उपमा ना बना

प्यार को प्यार रहने दे

इसे रिश्ता ना बना |

आदमी मैं भी हूँ

जज्बात समझता हूँ

हिकार ना कर उसकी

मुझे देवता ना बना |

एक फ़ासले के बाद

लौटना ठीक नहीं

मुझे मंजिल ना समझ

उसे रस्ता ना बना |

किनारे मैं हूँ खड़ा

मझदार में तू

कोई तो फैसला कर

उसे उलझा ना बना |

.

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अमुद्रित )

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 12, 2015 at 4:15pm

प्यार को प्यार रहने दे

इसे रिश्ता ना बना |

आदमी मैं भी हूँ

जज्बात समझता हूँ

हिकार ना कर उसकी

मुझे देवता ना बना |----वाह  ! बहुत  सुंदर प्रस्तुति  

Comment by somesh kumar on January 11, 2015 at 10:39am

सभी मित्रों और सम्मानीय सदस्यों का आभार ,निवेदित है कि अगर कोई सुधार अपेक्षित लगे तो अवश्य सूचित करें ,यद्यपि मैं एक स्लो-लर्नर हूँ और नियमों की अपेक्षा अभ्यास और सुधार से सीखने में यकीन रखता हूँ परंतु अगर आप लोग त्रुटियों से अवगत नहीं कराएँगे तो सिर्फ आत्म-मुग्धा में लिखता रहूँगा |अधिकांश लोगों की तरह अलग से सम्बोधित टिप्पणी नही देता इसके लिए भी क्षमा करें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2015 at 9:59pm

प्रेम त्रिकोण को एक सुलझे नज़रिए से प्रस्तुत करती सुन्दर कविता 

हार्दिक बधाई आ० सोमेश जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2015 at 9:56pm

सोमेश भाई, आपकी यह प्रस्तुति ध्यान आकर्षित करती है, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 10, 2015 at 9:32pm
आदरणीय सोमेश भाई जी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 10, 2015 at 8:41pm

आदरणीय सोमेश भाई , बढ़िया बात कही है ,

पूर्ण नहीं हूँ मैं

मुझे उपमा ना बना

प्यार को प्यार रहने दे

इसे रिश्ता ना बना |

आदमी मैं भी हूँ

जज्बात समझता हूँ

हिकार ना कर उसकी

मुझे देवता ना बना |  -- हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय सोमेश भाई ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 10, 2015 at 6:05pm

पूर्ण नहीं हूँ मैं

मुझे उपमा ना बना

प्यार को प्यार रहने दे

इसे रिश्ता ना बना |.......सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई , सोमेश भाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service