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गीत- जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है

२१२ २१२ २१२ २१२

जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है!
साल दर साल दिल का यही हाल है!!
मुझको तो इससे कुछ फर्क पडना नहीं!
ये गया साल है या नया साल है!!

स्याही किस्मत के उस पेज पर जा गिरी!
जिस पे तस्वीर थी मेरे दिलदार की!
या खुदा तुझसे ये क्या खता हो गयी!
मेरी किस्मत से वो अब जुदा हो गयी!
अब मुकद्दर मेरा दोस्त कंगाल है!
जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है......

नाम ही है सुना मैनें देखी नहीं!
शक्ल से तो कभी क्या बला है खुशी!
है गरीबी बहुत और बहुत बेबसी!
इक नदी है यहाँ गम की बहती हुई!
क्या बताऊं तुम्हें मेरा क्या हाल है!
जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है......

टीस उठती है तो फिर वो सोती नहीं!
चोट ऐसी लगी ठीक होती नहीं!
दर्द बहता है अब खून बहता नहीं!
प्यार तुझसे मेरा फिर भी घटता नहीं!
देह 'राहुल' की जख्मों की चौपाल है!
जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है......


मौलिक व अप्रकाशित!

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 9, 2015 at 12:32pm

इस उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by somesh kumar on January 8, 2015 at 4:56pm

लिखते रहिए भाई जी ,मंच पर रचना का स्वीकृत होना भी छोटी बात नहीं है ,बाकी ये हुनर तो अधिक पढ़ने और मनन करने से आएगा |उम्मीद है आप को आदरणीय लोगों का उचित मार्गदर्शन अवश्य मिलेगा |सद्प्रयास पर बधाई 

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 7, 2015 at 8:38pm
आदरणीय गुनीजनो से निवेदन है मुझे मेरी कमीयो से अवगत कराये जिससे मैं गीत निखार सकूं सादर विनती
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 7, 2015 at 8:31pm
आदरणीय हरिप्रकाश जी व आदरणीय मिथिलेश जी आपको सादर धन्यवाद!
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 7, 2015 at 8:30pm
आदरणीय गुनीजनो से व विशेष तौर पर आदरणीय सौरभ जी से निवेदन है क्रपया मेरे इस गीत के प्रथम पर्यास पे मेरा मार्ग दर्शन करें सादर!
Comment by harivallabh sharma on January 7, 2015 at 8:29pm

वाह सुंदर रचना ..उत्तम भाव...अच्छा प्रयास..


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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2015 at 8:08pm
आदरणीय राहुल भाई रचना के भाव सुन्दर है बस थोड़ी सी कसावट की जरुरत है।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 7, 2015 at 5:45pm

अब मुकद्दर मेरा दोस्त कंगाल है!
जिन्दगी ये मेरी गम का जंजाल है...... सुन्दर प्रयास ! बधाई राहुल डांगी जी ..बाकी गुणीजन लोगों की प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा !

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 7, 2015 at 4:15pm
आदरणीय अनुराग जी कमंट के लिए शुक्रिया मैं फिर समझ के देखता हुँ!
Comment by Anurag Prateek on January 7, 2015 at 3:59pm

क्या कहूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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