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ग़ज़ल - प्यार दिल का योग है जी !

2 1 2 2 -2 1 2 2

प्यार दिल का योग है जी  !
ये भी* तो इक रोग है जी  !!

आज जिसको प्यार कहते !
जिस्म का बस भोग है जी  !!

जुर्म माना इश्क को कब ! 
ये सदा इक जोग है जी !!

कुंडली* को तुम देख लेना !
उसमे* भी धनयोग है जी  !!

साथ सच्चा मिल गया हो !
तो बड़ा संयोग है जी !!

दर्द सबका ले लिया तो !
ये सही उपयोग है जी !!

जान का जब साथ हो तो  !
तो यही संजोग है जी !!

काम में गर साथ दे हम !
ये मिरा सहयोग है जी !!

(मौलिक एवम अप्रकाशित )

** आलोक **

मथुरा

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Comment

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Comment by Hari Prakash Dubey on January 5, 2015 at 6:20pm

कुंडली* को तुम देख लेना !
उसमे* भी धनयोग है जी......सुन्दर रचना ,बधाई आदरणीय आलोक जी !

Comment by ram shiromani pathak on January 5, 2015 at 3:21pm

ग़ज़ल के माध्यम से बहुत अच्छी बातें कहीं है आपने आदरणीय//बहुत सुन्दर ग़ज़ल //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Shyam Narain Verma on January 5, 2015 at 10:24am

बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ. ..  

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