For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रहस्य-भावानुभूति

रहस्य-भावानुभूति

पा लेने की प्यास

खो देने की तड़प

ज्वालामुखी अग्नि हैं दोनों

बिछोह के धुँए को आँखों में सहते

गहरापन ओढ़े

गुज़र जाते हैं एक के बाद एक

खुशिओं के त्योहार

खुशियों में शून्यताओं की पीड़ाएँ अपार

नहीं ठहरती है हाथों में

खुशी, मुठ्ठी में रेत-सी

पर मौसम कोई भी हो

अकुलाती रहती है पैरों के तलवों के नीचे

तपती रेत की अग्नि-सी जलन

दुख में, सुख में

पसरी फिर वही

फिर वही थरथरी

अनुभवों की दर्दभरी गगरी

बीतती ज़िन्दगी के तथ्यों के

ज्वलन्त सिलसिले

अंगारों-से

फिर वही

फिर वही, दबी-दबी

प्रतीक्षा की अजब रोशनी

किसी के लौट आने की, पा लेने की

प्यास

अकस्मात अनजाने कठिन कंटीली

उसी पल, खो देने की तड़प

काल-अग्नि

घबराती बेचैनी

स्मृतियाँ उदास

           ----------

 --  विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 769

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 27, 2015 at 11:06am

//मार्मिक ...बेहद मार्मिक ...आपकी लेखनी का जवाब नहीं सर ....कितना दर्द , तड़प , प्रेम , उफ़ ....हर बार निशब्द लौटना पड़ता है मुझे ....बहुत सहज भाव आपने पिरोये हैं ...एक प्रेम सम्बन्ध में डर, बैचैनी, खो देने का ख्याल ..बहुत खूब बयाँ किया आपने ...बधाई ...नमन आपकी लेखनी को नमन ...//

आदरणीया प्रियंका जी, आपकी ऐसी स्वर्णिम प्रतिक्रिया से मन आत्म-विभोर है। आपका हार्दिक आभार। मैं धन्य हुआ आपकी सराहना से।

Comment by Priyanka singh on December 2, 2014 at 10:25pm

मार्मिक ...बेहद मार्मिक ...आपकी लेखनी का जवाब नहीं सर ....कितना दर्द , तड़प , प्रेम , उफ़ ....हर बार निशब्द लौटना पड़ता है मुझे ....बहुत सहज भाव आपने पिरोये हैं ...एक प्रेम सम्बन्ध में डर, बैचैनी, खो देने का ख्याल ..बहुत खूब बयाँ किया आपने ...बधाई ...नमन आपकी लेखनी को नमन ...

Comment by vijay nikore on November 26, 2014 at 7:34pm

//हृदय की अतल गहराइयों में वेदना के तारों से उठती दमित झंकार को को स्वर दे रही है आपकी रचना।

रचना से बार बार गुजरना सुखद लगा//

रचना को इन सुखद भावनाओं से मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया विन्दु जी।

Comment by vijay nikore on November 25, 2014 at 8:36am

रचना पर अपने विचार देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by vijay nikore on November 16, 2014 at 1:09pm

//बहुत ही सुंदर शब्दों और भावों से जीवन रहस्य को उजागर करती पंक्तियाँ//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय जितेन्द्र जी।

Comment by vijay nikore on November 13, 2014 at 7:25pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय विजय शंकर जी

Comment by Vindu Babu on November 12, 2014 at 9:19pm

हृदय की अतल गहराइयों में वेदना के तारों से उठती दमित झंकार को को स्वर दे रही है आपकी रचना।

रचना से बार बार गुजरना सुखद लगा आदरणीय।

इस मार्मिक रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई। सादर

Comment by vijay nikore on November 12, 2014 at 12:54pm

//बहुत सुन्दर ..फिर से वही दिल छू लेने वाले भाव भरी प्रस्तुति ...//

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया राजेश जी।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 11, 2014 at 3:51pm

प्रतीक्षा, उम्मीद, आशा, तड़प  और फिर वज्रपात i समय , बेचैनी , स्मृतियाँ  i

ईश्वर

मानव को

कितना ही तडपाना

पीड़ा दे

अनुभूति न देना

कवि न बनाना i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 8:26am

बहुत ही सुंदर शब्दों और भावों से जीवन रहस्य को उजागर करती पंक्तियाँ. नमन आदरणीय विजय जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service