For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुटकियों से माँ...................

एक छतरी है जो याद मुझको बहुत आती है|

चुनरी पालने की याद मुझको रोज आती है |।

 

सुधियों से परिपूर्ण,सुध बचपन की आती है |

अंगने के झूले की,याद उस उपवन की आती है|।

 

सायबान की छाया में ..पालने की गोदी में.......

हरकतों पर मेरी दूर खड़ी माँ खूब  मुस्कुराती है।।

 

चुटकियों से माँ, मेरे चेहरे पर सरगम सजाती है |

डूबकर मेरी किलकारियों में ,हर गम भूल जाती है|।

 

माँ मुझे पालना झुलाती है ,कभी गोदी में हिलाती है |

हवा में उछाल कर मुझको,.. दुनिया रोज दिखाती है |।

 

मिटाने डर की लकीरों को , कई तरकीब लाती है |

आँचल में छिपा कर वो ,हमें जन्नत दिखाती है |।

 

प्यारी थप्पी लगाती है ,कभी लोरी सुनाती है |

प्रतिक्रिया देख कर मेरी,माँ माथा चूम जाती है|।

 

रीति की गहन सीमा में,वो घूँघट में मुस्काती है|

मेरे गिरने के हर अंदेशे मे,...देहरी लाँघ जाती है|।

 

चुन्नी को छतरी बनाती है,कभी बिछावन बनाती है|

मेरी खुशियों में वो,.....न जाने क्या-क्या बनाती है|।

खुशहाली की चाहत में,माँ मन्दिर -मन्दिर जाती है|

नजर के टोटकों में ,...वो हमें पल्लू में छिपाती है|।

 

सहरा-सहरा मोती बीने,...सेहरा रोज सजाती है|

फ़रमाइश में इक राधा की,कई तस्वीरें भिजवाती है|।

 

माँ अभी भी मेरे घर आने की, हर खबरों में फूल जाती है|

पलकें बिछाकर राहों में अपना खाना भूल जाती है |।

 

उम्र की इस सरहद पर माँ, ममता का पालना झुलाती है|

दूर रह कर भी ,..दुआओं की चूनर उढ़ाती है|।

 

एक छतरी है जो याद.

.

@anand    "मौलिक व अप्रकाशित"

 

Views: 413

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on October 12, 2014 at 12:41pm

माँ के लिए बहुत सुन्दर रचना ...............दिल से बधाई स्वीकारें आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2014 at 11:12am

माँ की याद में बहुत सुन्दर,उत्कृष्ट  भावों से आप्लावित आपकी रचना बहुत अच्छी लगी |हार्दिक बधाई आपको आनंद जी. 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2014 at 5:05pm

आनंद मूर्ति जी

माँ तो एक अहसास का नाम है i

आप की कविता अहसास से भरी है i

Comment by somesh kumar on October 9, 2014 at 9:39pm

माँ यानि मेरा सम्पूर्ण |

सुन्दर प्रयास 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service