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चुटकियों से माँ...................

एक छतरी है जो याद मुझको बहुत आती है|

चुनरी पालने की याद मुझको रोज आती है |।

 

सुधियों से परिपूर्ण,सुध बचपन की आती है |

अंगने के झूले की,याद उस उपवन की आती है|।

 

सायबान की छाया में ..पालने की गोदी में.......

हरकतों पर मेरी दूर खड़ी माँ खूब  मुस्कुराती है।।

 

चुटकियों से माँ, मेरे चेहरे पर सरगम सजाती है |

डूबकर मेरी किलकारियों में ,हर गम भूल जाती है|।

 

माँ मुझे पालना झुलाती है ,कभी गोदी में हिलाती है |

हवा में उछाल कर मुझको,.. दुनिया रोज दिखाती है |।

 

मिटाने डर की लकीरों को , कई तरकीब लाती है |

आँचल में छिपा कर वो ,हमें जन्नत दिखाती है |।

 

प्यारी थप्पी लगाती है ,कभी लोरी सुनाती है |

प्रतिक्रिया देख कर मेरी,माँ माथा चूम जाती है|।

 

रीति की गहन सीमा में,वो घूँघट में मुस्काती है|

मेरे गिरने के हर अंदेशे मे,...देहरी लाँघ जाती है|।

 

चुन्नी को छतरी बनाती है,कभी बिछावन बनाती है|

मेरी खुशियों में वो,.....न जाने क्या-क्या बनाती है|।

खुशहाली की चाहत में,माँ मन्दिर -मन्दिर जाती है|

नजर के टोटकों में ,...वो हमें पल्लू में छिपाती है|।

 

सहरा-सहरा मोती बीने,...सेहरा रोज सजाती है|

फ़रमाइश में इक राधा की,कई तस्वीरें भिजवाती है|।

 

माँ अभी भी मेरे घर आने की, हर खबरों में फूल जाती है|

पलकें बिछाकर राहों में अपना खाना भूल जाती है |।

 

उम्र की इस सरहद पर माँ, ममता का पालना झुलाती है|

दूर रह कर भी ,..दुआओं की चूनर उढ़ाती है|।

 

एक छतरी है जो याद.

.

@anand    "मौलिक व अप्रकाशित"

 

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Comment

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Comment by Meena Pathak on October 12, 2014 at 12:41pm

माँ के लिए बहुत सुन्दर रचना ...............दिल से बधाई स्वीकारें आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2014 at 11:12am

माँ की याद में बहुत सुन्दर,उत्कृष्ट  भावों से आप्लावित आपकी रचना बहुत अच्छी लगी |हार्दिक बधाई आपको आनंद जी. 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2014 at 5:05pm

आनंद मूर्ति जी

माँ तो एक अहसास का नाम है i

आप की कविता अहसास से भरी है i

Comment by somesh kumar on October 9, 2014 at 9:39pm

माँ यानि मेरा सम्पूर्ण |

सुन्दर प्रयास 

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