फुसफुसाने की आवाज सुन काजल जैसे ही पास पहुँची सुना कि -तुम आ गये न, मैं जानती थी तुम जरुर आओगें, सब झूठ बोलते थे, तुम नहीं आ सकते अब कभी| 
"भाभी आप किससे बात कर रही हैं कोई नहीं हैं यहाँ" 
"अरे देखो ये हैं ना खड़े, जाओ पानी ले आओ अपने भैया के लिय बहुत प्यासे है|"
डरी सी अम्मा-अम्मा करते ननद के जाते ही भाभी गर्व से मुस्करा दी| 
सविता मिश्रा 
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय विजय चाचाजी सादर नमस्ते ...दिल से शुर्किया आपका
रमेश भाई आभार आपका
अच्छी लघु कथा के लिए बधाई।
सफल प्रयास के लिये बधाई
बहुत बहुत शुक्रिया jitendra भाई आपका
बहुत ही बढ़िया लघुकथा .बधाई आदरणीया सविता जी
आदरणीय विजय भैया बहुत बहुत शुक्रिया
खुर्शीद भाई आभार आपका दिल से
आदरणीया सविता जी ,अच्छी लघु कथा है ,हार्दिक बधाई
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