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फुसफुसाने की आवाज सुन काजल जैसे ही पास पहुँची सुना कि -तुम आ गये न, मैं जानती थी तुम जरुर आओगें, सब झूठ बोलते थे, तुम नहीं आ सकते अब कभी|
"भाभी आप किससे बात कर रही हैं कोई नहीं हैं यहाँ"
"अरे देखो ये हैं ना खड़े, जाओ पानी ले आओ अपने भैया के लिय बहुत प्यासे है|"
डरी सी अम्मा-अम्मा करते ननद के जाते ही भाभी गर्व से मुस्करा दी|

सविता मिश्रा

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by savitamishra on September 27, 2014 at 9:49pm

आदरणीय विजय चाचाजी सादर नमस्ते ...दिल से शुर्किया आपका

Comment by savitamishra on September 27, 2014 at 9:49pm

रमेश भाई आभार आपका

Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:45pm

अच्छी लघु कथा के लिए बधाई।

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 26, 2014 at 2:34pm

सफल प्रयास के लिये बधाई

Comment by savitamishra on September 26, 2014 at 12:32pm

बहुत बहुत शुक्रिया jitendra भाई आपका

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2014 at 10:43pm

बहुत ही बढ़िया लघुकथा .बधाई आदरणीया सविता जी

Comment by savitamishra on September 25, 2014 at 4:43pm

आदरणीय विजय भैया बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by savitamishra on September 25, 2014 at 4:43pm

खुर्शीद भाई आभार आपका दिल से

Comment by विजय मिश्र on September 25, 2014 at 4:08pm
बदली परिस्थितियाँ भी जीवन जीने के यतन सीखाती रहतीं हैं और हमें सजग भी करतीं हैं |बहुत प्रशंसायोग्य मनोवैज्ञानिक आशय लिए हुए सुंदर कथा |साधुवाद बहन सविता |
Comment by khursheed khairadi on September 25, 2014 at 9:34am

आदरणीया सविता जी ,अच्छी लघु कथा है ,हार्दिक बधाई 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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