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ग़ज़ल .......... सुलभ अग्निहोत्री

हद से अपनी गुजर गया कोई ।
चुपके दिल में उतर गया कोई ।।

आँख में आसमान लाया था
मेरी अंजुरी में भर गया कोई ।।

छोटी बच्ची सा झूल बाहों में
मन की हर पीर हर गया कोई

टूटी छत से उतर के कमरे में
चाँदनी सा पसर गया कोई ।।

डाल पे फूल खिल गया जैसे
स्वप्न जैसे सँवर गया कोई ।।

रोशनी को सहेजने में ही
कतरा-कतरा बिखर गया कोई ।।

सामने वालमीकि के फिर से
क्रौंच पर वार कर गया कोई

बह के आँसू के संग आँखों से
मार के हमको मर गया कोई ।।

.............. सुलभ

मौलिक तथा अप्रकाशित

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Comment by vandana on November 15, 2014 at 4:47am

रोशनी को सहेजने में ही
कतरा-कतरा बिखर गया कोई ।।

सामने वालमीकि के फिर से
क्रौंच पर वार कर गया कोई

वाह आदरणीय बहुत सुन्दर ग़ज़ल 

Comment by Rahul Dangi Panchal on November 9, 2014 at 9:20pm
सामने वालमीकि के फिर से
क्रौंच पर वार कर गया कोई

बहुत सुन्दर वाह! वाह!
Comment by Ayub Khan "BismiL" on November 6, 2014 at 3:00pm

हद से अपनी गुजर गया कोई ।
चुपके दिल में उतर गया कोई ।।

छोटी बच्ची सा झूल बाहों में

मन की हर पीर हर गया कोई

डाल पे फूल खिल गया जैसे

स्वप्न जैसे सँवर गया कोई ।।

बह के आँसू के संग आँखों से

मार के हमको मर गया कोई ।।.....................waaaaaaaaaah janaab Matla ta maqta behtreen ashaar se saji gazal ke liye dili mubarakbaad 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 3:48pm

लाजवाब ग़ज़ल, बेहतरीन अश'आर। ढेरो ढेर बधाई आ० सुलभ अग्निहोत्री जी।

Comment by atul kushwah on October 27, 2014 at 10:09pm

रोशनी को सहेजने में ही
कतरा-कतरा बिखर गया कोई ।।

बह के आँसू के संग आँखों से
मार के हमको मर गया कोई ।। दोनों शेर पसंद आए, बहुत—बहुत बधाई आ.सलभ जी।

Comment by Sulabh Agnihotri on October 26, 2014 at 6:12pm

बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया  savita mishra जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 26, 2014 at 6:12pm

बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया  Chhaya Shukla जी !

Comment by savitamishra on October 15, 2014 at 10:38pm

महीने की सर्व श्रेष्ठ रचना के लिए हार्दिक बधाई...

Comment by Chhaya Shukla on October 15, 2014 at 2:04pm

महीने की सर्व श्रेष्ठ रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर नमन ! 

Comment by Chhaya Shukla on October 15, 2014 at 2:03pm

बेहतरीन गज़ल आदरणीय सुलभ जी दिल से बधाई कबूल फरमाएं सादर -
पसंदीदा शेर -

सामने वालमीकि के फिर से
क्रौंच पर वार कर गया कोई

बह के आँसू के संग आँखों से
मार के हमको मर गया कोई ।। ... :)

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