For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझको अपना कहता है।।

मुझको अपना कहता है।
फिर क्यूँ तनहा रहता है।।

अन्दर का जो दरिया है।
आँखों से अब बहता है।।

मंज़िल तक जाना है गर।
रस्ते को क्यूँ तकता है।।

झगड़े की कुछ वजह न थी।
फिर क्यूँ झगडा करता है।।

खुद में झाँकूँ देखूँ तो।
अन्दर क्या कुछ दिखता है।।

पहले जी भर रोया था।
अब थोड़ा सा हँसता है।।
*****************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 31, 2014 at 10:48pm

भाई रामशिरोमणि, आपने ग़ज़ल का काफ़िया ग़लत ले लिया है.  काफ़िया - अहता .. रदीफ़ - है

आगे के शेरों को देखें. 

वैसे कहन खूब है.

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2014 at 12:20am
बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहरलाल जी।। सादर
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2014 at 10:32pm

बहुत ही सुन्दर श्री राम शिरोमणि जी!

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2014 at 9:54am
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2014 at 9:53am
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी।। सादर
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 10, 2014 at 9:51am

सुंदर गीतिका रचना के लिए बधाई श्री राम शिरोमणि भाई 

Comment by ram shiromani pathak on September 10, 2014 at 9:49am
नरेन्द्र जी बहुत बहुत आभार आपका

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 9, 2014 at 8:42pm

खुद में झाँकूँ देखूँ तो।
अन्दर क्या कुछ दिखता है।। ----------बढ़िया ग़ज़ल कही भाई राम शिरोमणी जी आपने , बधाइयाँ |

Comment by ram shiromani pathak on September 8, 2014 at 1:48pm
मेरा प्रयास आपको अच्छा लगा मेरा लिखना सफल हुआ।। सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 8, 2014 at 1:03pm

शिरोमणि जी

बहुत बेहतर प्रयास i

मुझको अपना कहता है।
फिर क्यूँ तनहा रहता है।।

अन्दर का जो दरिया है।
आँखों से अब बहता है।।

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service