For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- और कुछ इत्मीनान है बाकी

ग़ज़ल :- और कुछ इत्मीनान है बाकी

और कुछ इत्मीनान है बाकी ,

रास्तों में ढलान है बाकी |

 

कील कांटे सलीब बिकने लगे ,

कौन ईसा महान है बाकी |

 

परकटा देख परिंदा बोला ,

हौसले की उड़ान है बाकी |

 

एक मुद्दत से निशाने पर हूँ ,

तीर चढ़ना कमान है बाकी |

 

देख ली आज भारतीय संसद ,

और कोई दुकान है बाकी |

 

घर तो कबके गये हैं टूट सभी ,

सबका अपना मकान है बाकी |

 

गोली नाथू चला रहा अब तक ,

तो भी गाँधी में जान है बाकी |

 

गांव में चिमनियां उग आई हैं ,

मुश्किलों में सीवान है बाकी |

 

है ज़हर में बुझा हरेक दाना ,

खेत में क्यों मचान है बाकी |

 

(अभिनव अरुण दि.-२७-०२-२०११ )

 

Views: 372

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on March 2, 2011 at 2:01pm

बागी जी आपके शब्द मेरे लिये लेखन की उर्जा और हौसले के सामान है ,आभार आपका आपने गज़ल पसंद की ! अभी भी मेरा प्रयास अपनी रचना को सबसे पहले ओ.बी.ओ. पर देना होता है और सदा रहेगा यहाँ जो रेस्पोंस और संतोष है उसमे कृत्रिमता नहीं और चुनिन्दा लोग हैं जो लेखन से जुड़े और उसे समझते हैं | यही बात इस साईट को औरों से अलग और विशिष्ट बनाती है | यह खूब प्रगति करे यही कामना है |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 28, 2011 at 7:40pm
अरुण भाई , आपके पास ख्यालात गज़ब के है , सभी शे'र एक पर एक है ,

गोली नाथू चला रहा अब तक ,
तो भी गाँधी में जान है बाकी |

अरुण भाई ग़ज़ल की जान है यह शे'र , मुझे पूरा विश्वास है की यह शे'र आपके भी दिल के नजदीक होगा |

बधाई स्वीकार करे इस बेहतरीन प्रस्तुति पर |
Comment by Abhinav Arun on February 28, 2011 at 2:19pm
शुक्रिया अश्वनी जी आपने ग़ज़ल पसंद की |
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 27, 2011 at 11:02pm
badhiya ghazal kahi hai...............badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service