For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सन १९८३ मार्च या अप्रेल का महीना हम कुछ परिवार मिलकर विशाखापत्तनम के ऋषिकोंडा बीच पर पिकनिक मनाने गए | उस वक़्त मेरे पति भारतीय नौसेना में  अधिकारी थे अतः मित्र परिवार भी नेवी वाले ही थे|बीच पर पंहुचते ही अचानक तेज बारिश होने लगी|मेरे दोनों बच्चे बहुत छोटे थे अतः उनको  भीगने से बचाने के लिए जगह खोजने लगे |

बीच के किनारे पर मछुआरों की बस्ती थी उन्होंने हमारी परेशानी समझी और हमे अपनी झोंपड़ियों में बिठाया| मछली की बू सहन भी नहीं हो रही थी किन्तु मजबूरी थी फिर उन्होंने कहीं से दूध का इंतजाम करके गर्म गर्म चाय भी परोस दी हम उनकी आव भगत से अभिभूत हो गए थे|

कुछ देर बाद बारिश रुक गई और हम उन लोगों को कुछ पैसे जबरदस्ती देकर लहरों से अठखेलियाँ करने दौड़ पड़े |वहीँ एक मछुआरन किनारे पर बच्चों को लेकर बैठ गई|हमारे ग्रुप में एक दो डाइवर भी थे जो अपने करतब भी दिखा रहे थे|और हम महिलाओं का ग्रुप भी पूरी मस्ती में था एक दूसरे पर पानी उछालना लहरों के साथ बहना फिर वापस आना चल रहा था|

इतने में अचानक एक हेलिकोप्टर की आवाज आई हम सब की नजरें आसमान  की और उठ गई हेलिकोप्टर को हम बच्चों की तरह बाय- बाय करने लगे| हमारे एक दो साथी हेलीकाप्टर के पायलेट ,को पायलेट  को पहचान गए उसके जाने के बाद लगभग पांच मिनट बाद दूसरा हेलिकोप्टर आया हमने फिर उसे भी हाथ हिलाकर वेव  किया|

 

वो भी हमे पहचान गए| एक राउंड में तो उन्होंने एक हेलिकोप्टर हमारे सिरों से  थोड़ी ऊँचाई पर ही हाल्ट कर दिया जिसकी भयंकर आवाज और तेज हवा से हम और रोमांचित हो गए ,पानी, रेत भी उनकी तरफ उछालने  लग गए |

मेरे पति ने बताया की उनकी एक्सरसाईज चल रही है |कई बार वो इतने नीचे आये की हम उनकी सूरत भी आराम से देख रहे थे |वो बहुत हँस रहे थे हमारी ओर हवाई किस भी फेंक रहे थे और हमारें ग्रुप के पुरुष उनको थप्पड़ दिखा रहे थे ये मस्ती लगभग बीस मिनट तक चलती रही एक हेलिकोप्टर के जाने के बाद हम दूसरे की इन्तजार में आँखें आकाश की और लगा लेते |

फिर अचानक वो आने बंद हो गए कुछ देर इन्तजार करके हम भी बाहर निकल आये|और दस पंद्रह मिनट बाद हम रोड पर आ गए थोड़ी दूर ही चले थे की कुछ आदमी बदहवास से दौड़े आ रहे थे हमने  गाडी रोक  कर पूछ क्या हुआ तब उन्होंने बताया कि कुछ ही दूरी पर दो

हेलिकोप्टर आपस में टकरा गए और समुद्र में गिर गए |सुनते ही हम सब लोग सन्न रह गए  और  सब घटना स्थल पर भागे|

सात जवानों में से एक भी नहीं बचा इतना ह्रदय विदारक द्रश्य था चारों  और नेवी के लोग फैले थे समुद्र में सैंकड़ों बोट घरघराकर दौड़ रही थी, किसी चश्मदीद ने बताया की दो जवान तो गिरते हुए हेलिकोप्टर से कूदने की कोशिश किये जो उसके ब्लेड से टुकड़ों में कट-कट के गिरे|हम सब मायूस आँखों में आँसू लिए घर लौटे |रात भर क्या कई दिनों तक ठीक से सो न सके |

बाद में आखबार में खबर छपी की किसी टेक्नीकल खराबी के कारण ये हादसा हुआ| हमे सख्त हिदायत दी गई कि हम सब अपना मुँह बंद रखें|आज इस घटना को इतने साल बीत गए हैं किन्तु इसकी याद आज भी उसी तरह मन में ताजा है सिहर जाती हूँ जब ये घटना याद आती है|                        

----------------------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 

Views: 617

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 6, 2014 at 11:36am

जितेन्द्र भैय्या वक़्त कब पल्टी मार जाए पता ही नहीं चलता पल में ख़ुशी पल भर में गम .बस उन्ही पलो से रूबरू हुई थी मैं |बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 6, 2014 at 10:33am

पल भर में क्या से क्या हो जाता है, एक सुखद रोमांच और कुछ ही पल में..... . आपके द्वारा इस घटना को एक सजीव सा चित्रण दिया गया , आदरणीया राजेश दीदी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2014 at 8:55pm

ब्रिजेश भैय्या ,मैं तो जब भी सोचती हूँ तो लगता है कल की ही घटना है |शहीदों को नमन .....प्रभु हमारी अनजाने में हुई भूल को क्षमा करे |

Comment by बृजेश नीरज on July 5, 2014 at 8:35pm

बहुत दर्दनाक हादसा! कुछ कहना मुश्किल है! आँखें नम हैं! 

उन शहीदों को नमन!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2014 at 7:11pm

आ० डॉ गोपाल जी,आपको ये संस्मरण अच्छा लगा आपका हार्दिक आभार | 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 5, 2014 at 12:40pm

महनीया

आपने इस घटना का प्रस्तुतिकरण  इस  ढंग से किया है कि इसमें कथा , आत्म कथा और संस्मरण सभी के तत्व समाहित हो गए है  i साधारणीकरण तो इतना है कि अंत में प्रमाता करुणासिक्त हुए बिना नहीं रह सकता i  बधाई हो i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service