For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे लाल भूल न जाना ये बात !!

मेरे बच्चे !!
खुश रहो तुम हरदम
न आये जीवन में तुम्हारे कोई गम
हो माँ शारदे की अनुकम्पा
भरपूर हो स्वास्थ, संपदा,
पर मेरे बच्चे, याद रखना हमेशा
जीवन में एक अच्छा इंसान बनना
साथ तुम्हारे चले जो जीवन पथ पर
करना उसका भी आदर
बहे न कभी तुम्हारे कारण
उसकी आँख का काजल,
करना न तुम कभी प्रकृति का दोहन
लेना उससे उतना ही जितनी हो जरुरत
अंत में है मेरा आशीर्वाद !
घर-परिवार, समाज, राष्ट्र
हर जगह हो तुम्हारा ऊँचा नाम
मेरे लाल !!
बढ़ते हुए निरंतर आगे
भूल न जाना तुम ये बात,
पुराने वाले घर में
रहती है तुम्हारी माँ !!

(आज बेटे के जन्मदिवस पर कुछ पंक्तियाँ.. दिल से )

मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 12, 2014 at 11:17am

आदरणीय मीणा बहन इस रचना को पढ़ अनायास नयन गीले हो गए .माँ आखिर माँ होती है l दुनियाभर के दुःख सहकर भी अपने बच्चों को सुखी रखना उसके लिए जैसे जीवन मरण का प्रश्न होता है  l  माँ के त्याग का मोल हमें कई बार उसके न होने पर ही पता चलता है l आपकी इस   मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई साथ ही बेटे को ढेरों शुभकामनायें l      

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 11, 2014 at 7:30pm

मीना जी

मेरी माँ मुझे बचपनमे ही छोड़कर चली गई थी i यहाँ तक कि मुझे उनका चेहरा याद नहीं i  अब तो मै भी वृद्ध हूँ i पर आपकी कविता ने मुझे रुला दिया i आपका आशिर्वाद फलीभूत हो i सचमुच प्राथमिक संस्कार माँ ही देती है i  आप एक गरिमामयी माँ है i आमीन i

Comment by Meena Pathak on June 11, 2014 at 3:55pm

प्रिय जीतेंद्र ..बहुत बहुत आभार | सस्नेह 

Comment by Meena Pathak on June 11, 2014 at 3:53pm

आदरणीय नरेंद्र जी बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 11, 2014 at 3:53pm

आदरणीया प्राची जी हम माएँ अपने बच्चों से बस् इतना ही तो मांगती हैं ना कि वो कभी भी अपनी माँ को न भूले बस्स ..इतना ही  :-)

रचना का भाव आप के दिल तक पहुंचा.. लिखना सफल हुआ , बहुत बहुत आभार स्वीकारें | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 11, 2014 at 2:44pm

मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति आदरणीया मीना जी 

बच्चे के लिए सारी दुआएं...सारी खुशियों की कामना 

और सिर्फ एक चाहना कि उसे याद रहे उसकी माँ ......बहुत संवेदनशील प्रस्तुति 

अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई आदरणीया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 11, 2014 at 11:45am

इस सुंदर सकारात्मक कामना पर आपको बहुत बहुत बधाई व् शुबकामनाएं आदरणीया मीना दीदी

Comment by Meena Pathak on June 11, 2014 at 11:16am

बहुत बहुत आभार स्वीकारें आदरणीय अभिनव जी | सादर 

Comment by Abhinav Arun on June 11, 2014 at 11:04am
आपकी कामना में हमारा स्वर भी शामिल रहे , सुन्दर रचना , बेटे को हम सब की और से भी हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service