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चुनावी चौपई ( चौपई छंद ) अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

चौपई छंद - प्रति चरण 15 मात्रायें चरणान्त गुरु-लघु

==================================

ऋतु चुनाव की जब आ जाय। यहाँ वहाँ नेता टर्राय॥

सज्जन दिखते, मन में खोट। दांत निपोरें, माँगे वोट॥

 

जिसकी बन जाती सरकार। सेवा नहीं, करते व्यापार॥

नेता अफसर मालामाल। देश बेचने वाले दलाल॥

 

जब अपनी औकात दिखांय। बिना सींग दानव बन जांय॥

नख औ दांत तेज हो जाय। देश नोंचकर कच्चा खांय॥

 

है इनमें कुछ अच्छे लोग। न लोभी हैं, न कोई रोग़॥

सोचें समझें, तब दें वोट। बार - बार ना खायें चोट॥

 

झूठे नारे, गलत बयान। लाख समस्या एक निदान॥

बदलें “मत” से हिंन्दुस्तान। फिर होगा यह देश महान॥

...............................................

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी 

(मौलिक व अप्रकाशित)   

  

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Comment by अरुण कुमार निगम on May 2, 2014 at 11:19pm

कैसा  दूषित  है  परिवेश | बता रहे  भ्राता अखिलेश ||

हीरा-पत्थर को पहचान | आँख खोल करना मतदान ||

बहुत सुन्दर तथा सामयिक छंद के लिए अखिलेश भाई को बधाइयाँ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 2, 2014 at 10:39pm

आदरणीय बड़े भाई , सुन्दर सामयिक चौपाई छंद के लिये आपको हार्दिक बधाई !!

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 2, 2014 at 10:17pm

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, बहुत सुन्दर चौपई छंद रचे हैं.  बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.                               कुछ जगह आपने छंद शिल्प "तीन चौकल गुरु लघु/ एक अठकल एक चौकल गुरु लघु" का साथ छोड़ दिया है इस कारण दो जगह मात्राएँ भी बढ़ गई है जैसा की आदरणीया राजेशकुमारी जी ने इंगित किया है.सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 2, 2014 at 10:05am

बहुत सुन्दर समसामयिक विषय पर चौपई छंद लिखा है  आ०  अखिलेश जी बहुत- बहुत बधाई.  

एक त्रुटी को इंगित करना चाहूंगी ---देश बेचने वाले दलाल॥ ---इसमें १६ मात्राएँ होने के कारन गेयता बाधित हो रही है कृपया देख लें. 

Comment by Sarita Bhatia on May 2, 2014 at 9:12am

वाह आदरणीय अखिलेश जी सामयिक एवं एक दम सटीक संदेशात्मक रचना के लिए बधाई 

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:03am

बहुत सुंदर  मौसम के अनुकूल रचना.. हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

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