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मनोरम छंद

(संक्षिप्त विधान : मनोरम छंद चार पक्तियों या पदों का वर्णिक छंद है. जिसके प्रत्येक पद में चार सगण और अंत में दो लघु वर्ण / अक्षर का विधान  हैं।)

लगती छबि मीत !

लगती छबि मीत मुझे मन भावन।

मन चंद चकोर समान लुभावन।।

मन प्रीत रिसे सुख पाय सुहावन।

अँखियाँ बरसे झिमके जिमि सावन।१।

 

चुपके पहले पिय नैन लड़ावत।

फिर नैन लडे हिय गेह बसावत।।

बस जात हिया फिर नींद चुरावत।

 सुख चैन चुरा दिन रैन जगावत।२।

 

मन बालगुडी नभ माहिं उडावत।

कबहूँ मन की पिय नाँव चलावत।।

रस की बतियाँ मन में छलकावत।

 फिर क्यूँ छलिया मन मोर पुकारत।३।

 

सत्यनारायण सिंह

मौलिक और अप्रकाशित

 

 

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Comment

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Comment by coontee mukerji on April 25, 2014 at 3:55pm

बहुत ही सुंदर छ्न्द है. हार्दिक बधाई.

Comment by Sushil Sarna on April 25, 2014 at 2:45pm

सुंदर और मनभावन लुभावने छंदों के लिए हार्दिक बधाई 

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