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आँख का हर प्रश्न आंसू की सतह में बह गया
और बेटा देश से बाहर कमाता रह गया........ बहुत ख़ूब .....
बहुत ही सुन्दर
क्या खूब रचना है लाजवाब गुरुजनों के सुझावों पे ध्यान दें
शुभकामनाएं
बहुत उम्दा
bahut sundarAnurag ji . aap ki gajal jhakjhor deti hai
भाई मुकेश जी, सिर्फ़ लाता से काम नहीं चलेगा न .. कुलबुलाता और जलाता के कारण लाता किया जाय तो सिनाद दोष हावी हो जायेगा. वैसे आपने अपने ढंग से कहने की कोशिश की यह अच्छा लगा.
वैसे भाई अनुराग अनुभव बहुत अच्छी कोशिश करते हैं.
मुझसे नहीं पूछा अiपने पर बता देता हूँ.. क़ाफियों की बुनियाद मतले मे छिपी होती है. इसके अनुसार आपको बाकी सारे क़ाफ़िए ऐसे लेने होंगे जिनके अंत में ....लाता हो..जैसे कुलबुलाता, जलाता.. आशा है आप समझ जाएँगे.
खूबसूरत ख़यालों पर दाद बनती ही है. लिखते रहिए
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