For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होली के हुड़दंग - अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

अब के बरस की होली में, कुछ ऐसा  रंग जमाएंगे।                                                                

भ्रष्ट को कालिख पोतेंगे, सज्जन को गुलाल लगाएंगे।।                                    

 

 

काले धन वालों को काला, और सभी को सतरंगी।                                                   

पिचकारी की तेज धार से, बदन सभी का भिगाएंगे।।                                                   

अब के बरस  की होली में, कुछ ऐसा  रंग जमाएंगे।

 

दुर्जन सब सुख भोग रहे, सज्जन अभाव में जीते हैं।                                                                                              

जितने भ्रष्ट दिखें होली में, सब को सबक सिखाएंगे।।                                                           

अब के बरस की होली में, कुछ ऐसा रंग जमाएंगे।                                                                

 

घूसखोर, भ्रष्टाचारी, कुछ , बलात्कारी,  बेईमान हुए।                                                    

होली में कोई बच न पाए, गधे में सब को घुमाएंगे।।                                                   

अब के बरस  की होली में,  कुछ ऐसा रंग जमाएंगे।                                                                

 

सज्जन की आबादी कम है, देश में दुर्जन ज्यादा हैं।                                 

दिल्ली की ऐसी होली में, गधे भी कम पड़ जाएंगे॥                                     

अब के बरस की होली में, कुछ ऐसा रंग जमाएंगे।                                     

 

भ्रष्ट को कालिख पोतेंगे, सज्जन को गले लगाएंगे।                                                                

अब के बरस की होली में, कुछ ऐसा  रंग जमाएंगे॥

 

######################                 

 

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव   

विवेकानंदनगर, धमतरी

मौलिक व अप्रकाशित  

 

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 8:04pm

आदरणीय विजय भाई,

आपकी सार्थक प्रतिक्रिया और रचना की  प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

काश ऐसी होली हर महानगर में होती 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 8:03pm

आदरणीय नीरज  भाई,

रचना की  प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥ 

काश ऐसी होली  हर महानगर में होती 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 7:59pm

आदरणीय लक्ष्मण् भाई,

 रचना की  प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 7:52pm

आदरणीय राजेशकुमारीजी,

रचना की  प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

 गधे भी कम पड़ जाएंगे ......तो...... हर गधे में तीन बिठायेंगे 

पुनः हृदय से धन्यवाद , आभार

 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 7:43pm

छोटे  भाई गिरिराज्,

रचना की  प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2014 at 7:41pm

सुन्दर सामयिक और सार्थक सन्देश देती गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 7:32pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई,

रचना की  प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥

Comment by विजय मिश्र on March 12, 2014 at 1:04pm
"भ्रष्ट को कालिख पोतेंगे, सज्जन को गले लगाएंगे।
अब के बरस की होली में, कुछ ऐसा रंग जमाएंगे॥

यही मनोभाव हमें परिवर्तन देगा , भ्रष्टों की उपेक्षा और तिरस्कार ही समाज को बचा पाएगा | अच्छे कम हैं फिर भी 'हम हैं ' को जाग्रत रखना होगा |सुंदर दिकदर्शी रचना हेतु बधाई अखिलेशजी |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 12, 2014 at 12:02pm

हहाहाहा ----क्या ऐसा कर पायेंगे ?कहाँ कहाँ से ढूंढ कर लायेंगे ,गधे कम पड़ जायेंगे 

Comment by Neeraj Neer on March 12, 2014 at 9:30am

आहूत ही सुन्दर होली के हुड़दंग का इरादा है .. बहुत खूब. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
19 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service