देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
कैसा है तुमसे रिश्ता हमको नही पता
पर बात अपने दिल की मैं तुमको दूँ बता
जैसे है तेरे साथ रिश्ता मेरा अहम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
देखा था मैनें सपना एक रात क्या कहूँ
आँखो से छलकते अश्कों के साथ मैं बहूँ
ये बात मेरी ऐसी नहीं हो तुझे हजम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
आ कर तुम बैठो मेरे पास मेरे यार
रहूँ देखता मैं तुझको करता रहूँ प्यार
करते है तुमसे प्यार या है मेरा वहम
आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम
देखा है जब से तेरी तस्वीर को सनम
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय विवेक झा जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय गिरीराज भंडारी जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय जितेन्द्र गीत जी
आप के उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्ेा आदरणीय केवल प्रसाद जी
आ0 अखंड भाई जी, बहुत ही सुंदर रचना। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, बधाई आपको आदरणीय अखंड जी
आदरणीय अखंड भाई , सुन्दर गीत रचना के लिये बधाई ॥
बहुत खूब ।
आदरणीय अखंड भाई,
इस सुंदर रचना पर मेरी हार्दिक बधाई।
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