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देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

कैसा है तुमसे रिश्‍ता हमको नही पता

पर बात अपने दिल की मैं तुमको दूँ बता

जैसे है तेरे साथ रिश्‍ता मेरा अहम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

देखा था मैनें सपना एक रात क्‍या कहूँ

आँखो से छलकते अश्‍कों के साथ मैं बहूँ

ये बात मेरी ऐसी नहीं हो तुझे हजम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

आ कर तुम बैठो मेरे पास मेरे यार

रहूँ देखता मैं तुझको करता रहूँ प्‍यार

करते है तुमसे प्‍यार या है मेरा वहम

आँखो मे मेरे बस गइ खा के कहूँ कसम

देखा है जब से तेरी तस्‍वीर को सनम

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

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Comment

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Comment by Akhand Gahmari on March 6, 2014 at 10:44pm

आप के उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्‍ेा आदरणीय विवेक झा जी

Comment by Akhand Gahmari on March 6, 2014 at 10:43pm

आप के उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्‍ेा आदरणीय गिरीराज भंडारी जी

Comment by Akhand Gahmari on March 6, 2014 at 10:43pm

आप के उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्‍ेा आदरणीय जितेन्‍द्र गीत जी

Comment by Akhand Gahmari on March 6, 2014 at 10:43pm

आप के उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है अपना आर्शीवाद बनाये रख्‍ेा आदरणीय केवल प्रसाद जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 6, 2014 at 9:33pm

आ0 अखंड भाई जी, बहुत ही  सुंदर रचना। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 6, 2014 at 9:12pm

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, बधाई आपको आदरणीय अखंड जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 6, 2014 at 5:51pm

आदरणीय अखंड भाई , सुन्दर गीत रचना के लिये बधाई ॥

Comment by annapurna bajpai on March 6, 2014 at 3:54pm

बहुत खूब । 

Comment by Vivek Jha on March 5, 2014 at 1:14pm
बहुत खूब
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 4, 2014 at 10:39pm

आदरणीय अखंड भाई,

इस सुंदर रचना पर मेरी हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

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