For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर रास्ता दुश्वार होगा ( ग़ज़ल ) गिरिराज भन्डारी

2122    2122   2122  2122

गर यक़ीं ख़ुद पर नहीं हर रास्ता दुश्वार होगा

ख़्वाब मे भी फूल देखोगे वहाँ पर खार होगा

 

बात बाहर जब गई है तो कोई गद्दार  होगा

कल्पनाओं से ही तो छपता नही अखबार होगा

 

चौक में जो रात को चिल्ला रहा था बात सच्ची

आज लोगों ने कहा, पागल या बादाख़्वार होगा

 

जब सियासत खूब दंगों की यहाँ होने लगी है                             

अब किताबों की जगह बम हाथ मे स्वीकार होगा  

 

साफ तो करना ही होगा तुमको अपना आइना, तब

ख़्वाहिशें जब भी करोगे , हर समय दीदार होगा

                                                            

आज सुनता हूँ कि यारों वो सड़क पर मर गया कल

साल पैंसठ ख़्वाब देखा जो मेरा घर बार होगा

 

तुम जहाँ की सभ्यता से आज बचपन सींचते हो  

हर जवाँ में ज़ह्र होगा , मुल्क ये बीमार होगा

 

साहिलों पे बैठ के तूफाँ के किस्से क्या लिखोगे ?

अब लिखेगा वो ही जिसके हाथ मे पतवार होगा

*************************************

 बादाख़्वार = शराबी

*************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

 

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 4, 2014 at 11:10am

आदरणीय नीरज नीर भाई , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by Neeraj Neer on March 3, 2014 at 7:27pm

वाह ! बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही गयी है .. 

चौक में जो रात को चिल्ला रहा था बात सच्ची

आज लोगों ने कहा, पागल या बादाख़्वार होगा.................. क्या कहने इस शेर के .. बहुत कमाल का शेर है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2014 at 7:20pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका तहे दिल से आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2014 at 7:19pm

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , ग़ज़ल को आशीर्वाद देने के लिये आपका हार्दिक आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2014 at 7:18pm

आदरणीय कल्पना जी , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2014 at 7:11pm

आदरणीय नादिर खान भाई , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ॥

Comment by vijay nikore on March 3, 2014 at 10:53am

गज़ल बहुत ही अच्छी बनी है। हार्दिक बधाई, भाई गिरिराज जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2014 at 10:59pm

बहुत बेहतरीन गजल हुयी आदरणीय गिरिराज जी, इन दो शेरो पर ढेरों बधाई आपको

साफ तो करना ही होगा तुमको अपना आइना, तब

ख़्वाहिशें जब भी करोगे , हर समय दीदार होगा

साहिलों मे बैठ के तूफाँ के किस्से क्या लिखोगे ?

अब लिखेगा वो ही जिसके हाथ मे पतवार होगा

Comment by kalpna mishra bajpai on March 2, 2014 at 10:46pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर आप ने जो लिखा काबिले तारीफ है बहुत बहुत बधाई । सादर

Comment by नादिर ख़ान on March 2, 2014 at 10:26pm

साहिलों मे बैठ के तूफाँ के किस्से क्या लिखोगे ?

अब लिखेगा वो ही जिसके हाथ मे पतवार होगा..

बहुत सही कहा आदरणीय गिरिराज जी, उम्दा गज़ल के लिये बधाई स्वीकारें .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
11 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
11 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
11 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service