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गणतंत्र दिवस शुभकामना, प्रेषित है श्रीमान।
झंडा ऊँचा नित रहे, बढ़े देश का मान॥
बढ़े देश का मान, निरंतर उन्नत भारत।
हर जन हो खुशहाल, नहीं हो कोई आरत॥
आम व्यक्ति गणराज, किन्तु तंत्र में है विवश।
फिर कैसा गणतंत्र, और ये गणतंत्र दिवस॥

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 6:04pm
आदरणीय ब्रिजेश भाई जी! आपका हृदय तल से आभार। आपके सुझाव का स्वागत करता हूँ।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 6:01pm
आदरणीय गिरिराज जी! आपका हार्दिक आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 6:00pm
आदरणीया मीना पाठक जी! आपका हृदय तल से आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 5:58pm
आदरणीय सौरभ सर जी! आपका आदेश सिर आँखों पर। इस कुंडलिया पर अभी और श्रम करता हूँ।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 1, 2014 at 3:51am

प्रस्तुति के कथ्य और तथ्य अच्छे हैं. लेकिन इनके लिए आपको क्या बधाई दूँ ?  आप स्वयं वैचारिक रूप से संयत और सक्षम हैं.

अलबत्ता, शिल्प पर आपसे ज़रूर बातें करूँगा.

 

आम व्यक्ति गणराज, किन्तु तंत्र में है विवश ..  .. रोला के इस पद के साथ आपने क्या किया है ?

है विवश  यानि २१११ क्या यह मात्रिकता रोला के सम चरण के अंत में स्वीकार्य है ?  नहीं. 

दूसरे, आप अच्छा अभ्यास करते हैं तो तुकान्तता को साधिये.

वैसे और की तुकान्तता के विरुद्ध छंद शास्त्र कुछ नहीं कहता. लेकिन जब वर्णमाला में और अलग-अलग अक्षर हैं तो एक रचनाकार के रूप में हम भी इन अक्षरों को वैसा ही आदर क्यों न दें ?

यों, इस तथ्य को बहुत पहले जानता/मानता तो मैं भी नहीं था. चूँकि, अब जान गया हूँ, तो भले ही छंदशास्त्र इनकी तुकान्तता के विरुद कुछ न कहे, लेकिन अब मैं भी सावधानी बरतने की कोशिश करता हूँ

शुभेच्छाएँ विंध्येश्वरी भाईजी..

Comment by बृजेश नीरज on January 29, 2014 at 11:00am

बहुत सुन्दर छंद रचा है भाई जी आपने! गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई!

'स' और 'श' के तुकान्त को लेकर सुधीजन आपत्ति करेंगे!

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 27, 2014 at 6:40pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , सुन्दर कुन्डलिया के लिएय आपको बधाई ॥

Comment by Meena Pathak on January 27, 2014 at 5:08pm

बहुत सुन्दर आदरणीय विनय जी | बधाई 

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