For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गणतंत्र दिवस शुभकामना, प्रेषित है श्रीमान।
झंडा ऊँचा नित रहे, बढ़े देश का मान॥
बढ़े देश का मान, निरंतर उन्नत भारत।
हर जन हो खुशहाल, नहीं हो कोई आरत॥
आम व्यक्ति गणराज, किन्तु तंत्र में है विवश।
फिर कैसा गणतंत्र, और ये गणतंत्र दिवस॥

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 6:04pm
आदरणीय ब्रिजेश भाई जी! आपका हृदय तल से आभार। आपके सुझाव का स्वागत करता हूँ।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 6:01pm
आदरणीय गिरिराज जी! आपका हार्दिक आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 6:00pm
आदरणीया मीना पाठक जी! आपका हृदय तल से आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 3, 2014 at 5:58pm
आदरणीय सौरभ सर जी! आपका आदेश सिर आँखों पर। इस कुंडलिया पर अभी और श्रम करता हूँ।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 1, 2014 at 3:51am

प्रस्तुति के कथ्य और तथ्य अच्छे हैं. लेकिन इनके लिए आपको क्या बधाई दूँ ?  आप स्वयं वैचारिक रूप से संयत और सक्षम हैं.

अलबत्ता, शिल्प पर आपसे ज़रूर बातें करूँगा.

 

आम व्यक्ति गणराज, किन्तु तंत्र में है विवश ..  .. रोला के इस पद के साथ आपने क्या किया है ?

है विवश  यानि २१११ क्या यह मात्रिकता रोला के सम चरण के अंत में स्वीकार्य है ?  नहीं. 

दूसरे, आप अच्छा अभ्यास करते हैं तो तुकान्तता को साधिये.

वैसे और की तुकान्तता के विरुद्ध छंद शास्त्र कुछ नहीं कहता. लेकिन जब वर्णमाला में और अलग-अलग अक्षर हैं तो एक रचनाकार के रूप में हम भी इन अक्षरों को वैसा ही आदर क्यों न दें ?

यों, इस तथ्य को बहुत पहले जानता/मानता तो मैं भी नहीं था. चूँकि, अब जान गया हूँ, तो भले ही छंदशास्त्र इनकी तुकान्तता के विरुद कुछ न कहे, लेकिन अब मैं भी सावधानी बरतने की कोशिश करता हूँ

शुभेच्छाएँ विंध्येश्वरी भाईजी..

Comment by बृजेश नीरज on January 29, 2014 at 11:00am

बहुत सुन्दर छंद रचा है भाई जी आपने! गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई!

'स' और 'श' के तुकान्त को लेकर सुधीजन आपत्ति करेंगे!

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 27, 2014 at 6:40pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , सुन्दर कुन्डलिया के लिएय आपको बधाई ॥

Comment by Meena Pathak on January 27, 2014 at 5:08pm

बहुत सुन्दर आदरणीय विनय जी | बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Akhand Gahmari shared a profile on Facebook
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम. . . . उल्फत

दोहा दशम - ..... उल्फतअश्कों से जब धो लिए, हमने दिल के दाग ।तारीकी में जल  उठे, बुझते हुए चिराग…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service