For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आने वाले साल का हर दिन हो शुभ !

मुट्ठी से रेत की तरह
फिसल गया ये साल भी
पिछले साल की तरह,
वही तल्खियाँ, रुसवाइयाँ,
आरोप, प्रत्यारोप,बिलबिलाते दिन
लिजलिजाती रातें, दर्द, कराहें
दे गया सौगात में |

सोचा था पिछले साल भी
होगा खुशहाल, बेमिशाल
लाजवाब आने वाला साल,
भर लूँगी खुशियों से दामन
महकेगा फूलों से घर आँगन
खुले केशों से बूँदें टपकेंगी
दूँगी तुलसी के चौरा में पानी
बन के रहूँगी राजा की रानी |


हो गया फिर से आत्मा का चीरहरण
केश तो खुले पर द्रोपदी की तरह
कराहों, चीखों से भर गया घर आँगन
आपमान की ज्वाला से दहकने लगा दामन
भर गया रगों में नफरत का जहर
हाहाकार कर उठा अंतर्मन, पर  
रह गई मन की बात मन में
कह ना सकी किसी से अपनी उलझन |

लो आ गया फिर से नया साल

जागी है फिर से दिल में आस
लाएगा खुशियाँ अपार
मिटेगा मन से संताप
दहकाए न कलुषित शब्दों का ताप
दे ये नया साल खुशियों की सौगात |

हो, माँ शारदे की अनुकम्पा
बोल उठें शब्द बेशुमार
मेघ घननघन बरसे
कल-कल सरिता बहे
धरती धनी चूनर ओढ़े  
फिर,
नाच उठे मन मयूर
शब्द झरें बन कर फूल
गाये पपीहा मंगल गीत
आने वाले साल का
हर दिन हो शुभ !!!

मीना पाठक 
मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:19pm

बहुत सुन्दर रचना आदरणीया मीना जी। । हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Meena Pathak on January 14, 2014 at 8:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 4:06pm

आमीन..

नववर्ष मंगलमय हो.

Comment by Meena Pathak on January 10, 2014 at 12:56pm

आभार आ० सविता मिश्रा जी 

Comment by savitamishra on January 9, 2014 at 10:59am

बहुत सुंदर

Comment by Meena Pathak on January 8, 2014 at 3:26pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुन अनन्त जी | सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 8, 2014 at 3:23pm

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना आदरणीया मीना जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Meena Pathak on January 8, 2014 at 1:13pm

आदरणीय चन्द्र शेखर जी बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on January 8, 2014 at 1:12pm

आदरणीय अविनाश बागड़े जी सादर आभार स्वीकारें 

Comment by Meena Pathak on January 8, 2014 at 1:11pm

प्रिय जितेन्द्र बहुत बहुत आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service