For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अंकल, इस बार सामान के बिल में सौ-दो सौ रूपये जरा बढाकर लिख देना, आगे मैं समझ लूँगा"  रोहन ने दुकानदार से कहा.

"ऐसा ?.. पर बेटा, यह तो तुम्हारे घर की ही लिस्ट है न ?" दुकानदार को बहुत आश्चर्य हुआ.

"हाँ है तो. पर क्या है कि पापा आजकल पॉकेटमनी देने में बहुत आना-कानी करने लगे हैं.. " रोहन ने अपनी परेशानी बतायी.

(संशोधित)

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 1242

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on December 20, 2013 at 9:50am

सुन्दर परिश्रम सार्थक हुआ है। ……लिखते रहे  आदरणीय जीतेन्द्र  जी। ....... हार्दिक बधाई आपको। ।शुभ शुभ 

Comment by annapurna bajpai on December 19, 2013 at 2:30pm

सुंदर लघु कथा , आ० जितेंद्र जी । 

Comment by AVINASH S BAGDE on December 19, 2013 at 10:48am

घर ही भ्रष्टाचार की  प्रथम प्रयोगशाला /उम्दा जितेन्द भाई 

Comment by vandana on December 19, 2013 at 6:34am

बहुत अच्छी तरह संशोधन किया आपने आदरणीय जितेन्द्र जी ....हार्दिक बधाई 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on December 19, 2013 at 12:10am

लघुकथा ने मंटो की छोटी और मारक लघुकथाओं की याद दिलादी। जय हो।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2013 at 7:11pm

गीत जी

इसे पढ़ चुका था i पर आपने जो संशोधन  किये उससे यह  रचना जीवंत होकर सर्वथा  नवीन  हो गयी i आपको साधुवाद i


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 18, 2013 at 1:14pm

भाई जितेन्द्र जी, सब से पहले तो आपके सीखने के जज़बे को सलाम कहता हूँ. दोस्तों और शुभचिंतकों की राय का सम्मान करते हुए जिस तरह बार बार इसमें सुधार किया है वह वंदनीय है. अब आपकी लघुकथा काफी उभर कर सामने आई है, हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 18, 2013 at 1:10pm

आदरणीय योगराज जी

आपका स्नेहिल मार्गदर्शन पाकर व् आपके द्वारा रचना पर बताये गये,  विस्तृत  बिन्दुओ को ध्यान में रखकर, मैंने उक्त घटना को एक लघुकथा बनाने का पूर्ण प्रयास किया है, आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता हमेशा रहेगी.

सादर! 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 18, 2013 at 12:16pm

//hhhhhhhhh//

सविता मिश्रा जी, यह किस प्रकार की टिप्प्णी है ?

Comment by savitamishra on December 18, 2013 at 12:06pm

hhhhhhhhh

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service