For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐ आसमान

इन सर्द रातों के

घने कोहरे में

तेरा दीदार नही होता

तेरी गर्म छुअन महसूस होती है

मुझे पता है, तू भी तपड़ता है

तरसता है, व्याकुल है मेरे शुष्क अधरों

को नमी देकर

खुद  नमी पाने को

अपने  शुष्क  अधरों के लिए

 गुनगुनी सी  धूप में

मैं जल रही हूँ

ठंडी  सर-सराती हवाएं

मेरे प्यार के दामन को चीर देती हैं

इतने बड़े दिन की, न जाने कब होगी ?

शीतल शाम

तू आएगा न मेरे पास

तारों भरा गहना लेकर

अपने मिलन की रात को

 मैं तड़प रही हूँ...

 जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 17, 2014 at 10:08pm

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्र जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 16, 2014 at 11:30pm

प्रिय जितेन्द्र भाई आनन्द दायी। क्या कल्पना है श्रृंगार संयोग विरह मिलन की आस
सुन्दर रचना
भ्रमर ५

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 10, 2014 at 9:35pm

आपका ह्रदय की गहराइयों से आभार आदरणीय सौरभ जी, आपकी प्रतिक्रिया शिरोधार्य है स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 10, 2014 at 9:29pm

रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया, बहुत ख़ुशी देती है आदरणीय विजय जी

//गुनगुनी सी  धूप में

मैं जल रही हूँ// ...............प्रिय के विरह से  सर्दी के मौसम में गुनगुनी सी धूप भी अच्छी नही लगती   

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 10, 2014 at 9:08pm

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय रमेश जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 5:09pm

आपके रचनाकर्म पर कहूँ तो आपके लेखकीय आत्मविश्वास से न केवल मेरा मन मुग्ध है बल्कि आपकी इस प्रस्तुति से मैं एक पाठक के तौर पर दंग भी हूँ, भाई जितेन्द्रजी.

तमाम सुझाव और सलाहें फिर कभी..  .. अभी तो बस बधाई-बधाई-बधाई.. !

हृदय की गहराइयों से शुभेच्छाएँ

Comment by vijay nikore on February 6, 2014 at 11:06am

आदरणीय जितेन्द्र जी, इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई। भाव बहुत अच्छे हैं।

//गुनगुनी सी  धूप में

मैं जल रही हूँ//             .... इस पर कुछ प्रकाश डाल सकें तो आभार होगा।

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 6, 2014 at 10:55am

आदरणीय जितेन्द्रजी मर्मस्पर्शी रचना प्रस्तुत किया है आपने बहुत बहुत बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2014 at 4:40am

रचना की सराहना व् उत्साहवर्धन के लिए आपका आभारी हूँ आदरणीया अन्नपूर्णा जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2014 at 4:37am

आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service