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!!!! टूटते विश्वास को !!!! नवगीत !!!! ( गिरिराज भंडारी )

!!!! टूटते विश्वास को !!!! नवगीत !!!!

किस तरह से

मै बचा लूँ

टूटते विश्वास को

 

लोग कहते,

भूल जाऊँ

आँख मून्दे ,

कान रून्धे

चुप रहूँ मै , बस सहूँ मै,

इस मिले संत्रास को

 

जब नज़र में

हो उपेक्षा

और अच्छे

की अपेक्षा 

क्यों न मानूँ ,आज अन्दर,

से हुये आभास को

 

भूत की यादें

सुखद है

दिल मगर कब

मानता है

कब तलक मानूँ सहारा

हास को परिहास को

 

भूलना मुश्किल बहुत है

पर असम्भव

तो नही है

नेह झूठे, और झूठे

स्वप्न के आकाश को   

*****************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment

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Comment by coontee mukerji on November 29, 2013 at 4:14pm

बहुत सुंदर नवगीत.

जब नज़र में

हो उपेक्षा

और अच्छे

की अपेक्षा 

क्यों न मानूँ ,आज अन्दर,

से हुये आभास को.........साधुवाद.

सादर/कुंती

Comment by vandana on November 29, 2013 at 7:48am

जब नज़र में

हो उपेक्षा

और अच्छे

की अपेक्षा 

क्यों न मानूँ ,आज अन्दर,

से हुये आभास को

बहुत बढ़िया नवगीत आदरणीय गिरिराज  सर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 29, 2013 at 6:28am

आदरणीया अन्नपूरणा जी , नवगीत को आपका आशीर्वाद मिला , बहुत खुशी हुई !!!! आपका हृदय से आभार् !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 29, 2013 at 6:26am

आदरनीय सन्दीप भाई , नव गीत को आपका अनुमोदन मिला , मेरी मेहनत सफल हुई !!!!! आपका हार्दिक आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 29, 2013 at 6:24am

आदरणीया मीना जी , आपका दिल से शुक्रगुजार हूँ , प्रथम नव गीत की सराहना के लिये !!!!

Comment by annapurna bajpai on November 28, 2013 at 7:46pm

आ0 भण्डारी जी सुंदर नवगीत , सुंदर भाव , बधाई आपको । 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 28, 2013 at 7:33pm

वाह वाह सर जी

बेहतरीन गीत रचा है आपने सादर बधाई स्वीकार कीजिये

वाह वाह वाह

Comment by Meena Pathak on November 28, 2013 at 7:26pm

बहुत सुन्दर नवगीत | हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 28, 2013 at 5:00pm

आदरणीय राजेश भाई , प्रथम नव गीत को स्वीकार करने के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!!!

आपका कहना सही है , उपेक्षा एवं अपेक्षा दोनो गेयता भंग कर रहे हैं !!! मै प्रयास करूंगा !!! आपसे भी अनुरोध है अगर कुछ अच्छा सूझे तो बिना संकोच बतायें !!! आपका पुनः आभार !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 28, 2013 at 4:56pm

आदरणीय श्याअम भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!

कृपया ध्यान दे...

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