2122 2122 2122 2122
ज़ख़्म सूखे हैं तो फिर क्यों दर्द फैला जा रहा है
क्यों मुझे वो दिन पुराना याद आता जा रहा है
भीड़ मे रहना मुझे फिर बोझ सा लगने लगा क्यों
और तनहा कोई कोना क्यों बुलाता जा रहा है
फिर वही झरने की कल कल, फिर वही ठंडी हवायें
फिर कोई पागल परिन्दा गीत गाता जा रहा है
कोई सपना फिर पुराना आँखों मे पलने लगा क्यों
अजनबी सा डर है तारी दिल धड़कता जा रहा है
फिर से नामावर का रस्ता देखने का दिल किया क्यों
क्यों कबूतर ख़्वाब में फिर रोज़ आता जा रहा है
फिर से बच्चे आज पत्थर क्यों जमा करने लगे अब
फिर मुहल्ले में मुझे पागल बताया जा रहा है
फिर से दुनिया की नज़र फिरने लगी मै देखता हूँ
ज़ेह्ने दुनिया क्या कोई साजिश रचाता जा रहा है
********************
नामावर = पत्र वाहक
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
फिर से बच्चे आज पत्थर क्यों जमा करने लगे अब
फिर मुहल्ले में मुझे पागल बताया जा रहा है....... आहा.... बहुत खूब...... ह्रदयतल से बधाई इस खूबसूरत गज़ल के लिए आ0 गिरिराज जी...
अच्छी गज़ल की बधाई छोटे भाई । परिन्दे को पागल न कहो, प्रीतम या प्रेमी कहो ।
आदरणीया अन्नपूर्णा जी, !!!! हौसला अफज़ाई के लिये आपका अभारी हूँ !!!!
आदरणीय अरुण अनंत भाई , दिल से दी दाद दिल तक पहुँची !!!! हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!
आदरणीय उमेश भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभार !!!!!!
आदरणीय शिज्जू भाई, आपने तो ऐसी सराहना की है कि मन अब हवा मे है !!!! फौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!
आदरणीया उषा तनेजा जी , शे र के माध्यम से गज़ल की सराहना करने के लिये और उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभारी हूँ !!!!
आ0 भण्डारी जी बेहद खूबसूरत गजल हुई है बहुत बधाई ।
आ0 डा. गोपाल नारायण भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभारी हूँ !!!!
वाह वाह वाह आदरणीय गिरिराज सर जी वाह कमाल की ग़ज़ल हुई है बेहतरीन अशआरों से लबालब बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं. आनंद आ गया आदरणीय
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online