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जो भी है आपका करम है सब ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

 2122       1212      22

ज़र्फ़ अंदर न पास है दिल में

आ गया हूँ ,अदब की महफ़िल में

वक़्त रद्दे अमल का आया तो 

तुम रहम खोजते  हो क़ातिल में

कुछ तड़प , दर्द और बेचैनी

और क्या खोजते हो बिस्मिल में

 

फिर मुझे याद कर रहा है वो

फिर पड़ा होगा यार मुश्किल में 

 

अनमने से वो हाल पूछे जब

दर्द कैसे कहूँ है तिल तिल में

 

जो भी है आपका करम है सब

ज़र्फ़ खोजो न मुझसे जाहिल में

          ************

ज़र्फ़ – योग्यता , सलाहियत

पास - लिहाज

रद्दे अमलप्रतिक्रिया

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 10:46pm

आदरणीय केवल भाई , गज़ल की  सराहना के लिये और उत्साह वर्धन के लिये  आपका बहुत आभार !!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2013 at 9:50pm

साहिल को ऑब्जेक्ट की तरह लिया जाय तो साहिल में का प्रयोग गलत होगा. 

गर्क जब भी हुआ सफ़ीना तो

थोड़ी हलचल रही है साहिल में

 

लेकिन मैंने आपके इस शेर को उसके निहितार्थ के हिसाब से देखा.  जहाँ साहिल के हृदय को इंगित कर के बात हुई है.

सफ़ीना के ग़र्क होने पर साहिल के हृदय में ही हलचल हुई होगी. वर्ना साहिल तो बिना किसी भाव के चुपचाप ही बना दीखता है.

इसी कारण मैंने साहिल में को लेकर कुछ नहीं कहा.

हो सकता है मैं गलत ही होऊँ.

सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 25, 2013 at 9:30pm

आ0 भण्डारी भार्इ जी,  

//फिर मुझे याद कर रहा है वो

फिर पड़ा होगा यार मुश्किल में //

------------------वाह! सुन्दर गजल के लिए आपको तहेदिल से दाद कुबूल करें।  सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 8:45pm

आदरणीय सौरभ भाई , आपकी दाद दिल से कुबूल की !!! उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 8:42pm

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2013 at 8:18pm

दाद कुबूल कीजिये आदरणीय

शुभ-शुभ

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 25, 2013 at 6:58pm

छोटे भाई बधाई, हर शेर भावपूर्ण ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 5:42pm

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 5:41pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल आपको पसन्द आई , हार्दिक प्रसन्नता हुई !!! हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!

Comment by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 4:57pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय गिरिराज जी //हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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